चुनावों में 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटने के बढ़ते प्रचलन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा - यह एक गंभीर मुद्दा,केंद्र स्टैंड ले
चुनावों में 'मुफ्त की रेवड़ियां' बांटने के बढ़ते प्रचलन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा - यह एक गंभीर मुद्दा,केंद्र स्टैंड ले

उच्चतम न्यायालय ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, जिसमें राजनीतिक दलों के खिलाफ कथित तौर पर मुफ्त उपहार देकर मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।चुनाव आयोग के वकील के शामिल होने के लिए मामला पास किया गया जहा चुनाव आयोग की तरफ से वकील शर्मा ने कहा की इस अदालत ने कहा है कि कानून हैं और कहा गया है कि घोषणापत्र को वादे के रूप में रखा जा सकता है जिसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने कहा की हम मतदाताओं को रिश्वत देने के लिए मुफ्त में हैं। अब अगर आप अपने हाथों से हाथ हटा दें तो भारत के चुनाव आयोग का उद्देश्य क्या है?जिसके बाद अधिवक्ता शर्मा ने दलील देते हुए कहा की केंद्र इससे निपटने के लिए सबसे अच्छा होगा क्योंकि वे एक कानून लाने के लिए उपयुक्त हैं.जिसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया ने कहा की आखिर केंद्र स्टैंड लेने से क्यों हिचकिचा रहा है?जिसके बाद अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट से कहा की यह एक गंभीर मामला है।
Supreme Court directs Centre to find a solution to stop political parties from giving freebies during elections. Court posts the matter for further hearing on August 3.
— ANI (@ANI) July 26, 2022
कृपया केंद्र को निर्देश दें कि वह मुफ्त उपहारों को नियंत्रित करने के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे कोर्ट ने फिर उनसे पूछा की मुफ्तखोरी पर नियंत्रण के लिए आपका क्या सुझाव है?उपाध्याय ने कहा की मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि चुनाव आयोग कुछ नहीं कर सकता. चुनाव आयोग को राज्य और राष्ट्रीय पार्टी को ऐसी चीजें देने से रोकना चाहिए और ऐसा कोई वादा नहीं दिया जा सकता है कोर्ट ने फिर पूछा की आप पार्टी को वादे करने से कैसे रोक सकते हैं उपाध्याय ने पंजाब और श्रीलंका का उदहारण देते हुए कहा की पंजाब में 3 लाख करोड़ का कर्ज था और 3 करोड़ लोगों पर है। श्रीलंका ने वही फ्रीबीज किया और हम वही कर रहे हैं। भारत पर 70 लाख करोड़ का कर्ज है। हम उसी रास्ते जा रहे है चुनाव आयोग को एक अलग नियम बनाने दें। एक नागरिक के रूप में मुझे यह जानने का अधिकार है. घोषणापत्र में पार्टियों को यह भी बताना चाहिए कि राज्य पर कितना कर्ज है।कोर्ट ने सारी दलीले सुनाने के बाद कहा की हम इसे अगली बार सूचीबद्ध करेंगे। कृपया देखें कि बहस कैसे शुरू की जा सकती है. हम अगले बुधवार को इस मुद्दे पर सुनवाई करेंगे।
Supreme Court hears a PIL by BJP leader Ashwini Upadhyay seeking direction to register FIRs against political parties for allegedly inducing voters by offering freebies#SupremeCourt
— Bar & Bench (@barandbench) July 26, 2022