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पंजाब में गेहूं खरीद के लिए अड़ानी साइलो प्लांट बना किसानो की पहली पसंद, किसान आंदोलन में इस प्लांट को करवाया गया था बंद

पंजाब में गेहूं खरीद के लिए अड़ानी साइलो प्लांट बना किसानो की पहली पसंद, किसान आंदोलन में इस प्लांट को करवाया गया था बंद
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किसान आंदोलन के वक्त जिस अडानी और अंबानी का सबसे ज्यादा विरोध हुआ और इन उद्योगपतियो का नाम लेकर कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। जिस पंजाब में कृषि कानूनो के विरोध के नाम पर अडानी साइलो प्लांट को बंद करवा दिया गया आज वहीं अडानी साइलो प्लांट पंजाब में गेहूं खरीद के लिए किसानो की पहली पसंद बना है।

लेकिन महज एक साल के अंदर तस्वीर पूरी तरह से बदल चुकी है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिये सरकार जमीन उद्योगपतियो को बेचना चाहती है कृषि कानून उद्योगपतियो के लिए लाए गए इस तरह के आरोप लगाने वाले पंजाब और उत्तर प्रदेश के आंदोलनजीवियो को यह तस्वीर जरुर देखनी चाहिए। कि पंजाब में फिरोजपुर रोड पर बने अडानी साइलो प्लांट में गेहूं स्टोर करवाने को लेकर किसानों में होड़ मची हुई है। यह वही अडानी साइलो प्लांट है, जिसे किसानों कृषि कानून के विरुद्ध आंदोलन के समय बंद करवा दिया था।

गेंहू के सीजन में प्लांट के बहार का नजारा ये है कि गेहूं स्टोर करवाने के लिए किसान 42 डिग्री तापमान में भी अपनी ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर प्लांट के दोनों ओर दो-दो किलोमीटर लंबी लाइन में खड़े हैं। किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध के दौरान इस प्लांट को चलने नहीं दिया था। नतीजा ये है कि इस बार साइलो प्लांट में बाकी वर्षों की तुलना में 30-35 टन का कम स्पेस मिला है।

12-12 घंटे धूप में खड़े होकर इंतजार कर रहे किसान

अचानक गेहूं की आय बढ़ने से किसानों को 12-12 घंटे धूप में खड़े रहना पड़ रहा है, जबकि प्लांट में एंट्री करने के बाद किसान की गेहूं आधा घंटे में स्टोर होने के बाद उसे पेमेंट की पर्ची मिल जाती है, साथ ही 48 घंटे की अवधि में किसान के खाते में पेमेंट भी आ जाता है।

मंडियों में जहां किसानों को अपनी फसल बेचने में चार से पांच दिन लग रहे हैं, वहीं साइलो प्लांट में 6 से लेकर 12 घंटे में किसान गेहूं बेचकर घर लौट रहे हैं। मंडी में आने वाले गेहूं को राज्य की सरकार एजेंसी नमी की मात्रा ज्यादा बताकर अभी खरीदने से परहेज कर रही हैं। वहीं साइलो प्लांट में सिर्फ एफसीआइ को आवंटित मंडियों का गेहूं ही स्टोर किया जा रहा है। यह साइलो प्लांट एफसीआइ के पास साल 2025 तक किराये पर है।

साइलो प्लांट में 12,500 टन क्षमता के 16 स्टील के ड्रम हैं। ये ड्रम तकनीकी रूप से इस तरह से बनाए गए हैं कि इनके अंदर गेहूं स्टोर होने के बाद गर्मी, सर्दी और बारिश का कोई असर नहीं होता है। इसके कारण कई सालों तक साइलो प्लांट में गेहूं सुरक्षित रहता है। इस प्लांट की स्टोरेज क्षमता दो लाख मीट्रिक टन की है। जिसमें खरीद शुरू होने तक 85 हजार मीट्रिक गेहूं का स्पेस खाली था, 15 हजार मैट्रिक टन गेहूं अब तक आ चुका है। किसान आंदोलन के कारण पिछले सालों का स्टोर गेहूं यहां से शिफ्ट न हो पाने के कारण इस बार स्पेस पिछले सालों की तुलना में कम रहेगा।

साइलो प्लांट के टर्मिनल मैनेजर अमनदीप सिंह का कहना है कि इस समय हर रोज साढ़े सात हजार टन गेहूं स्टोरेज के लिए पहुंच रहा है। हर रोज लगभग 1100 ट्रॉलियां साइलो प्लांट में उतर रही हैं। जिस कारण साइलो प्लांट के दोनों तरफ दो किलोमीटर मोगा की ओर तथा दो किलोमीटर फिरोजपुर की ओर हाईवे पर गेहूं से भरी ट्रैक्टर ट्रालियों की लाइनें लगी हुई हैं।

किसानो का साफतौर पर कहना है कि साइलो प्लांट में अधिकतम १२ घंटे लगते है। उनका कहना है कि न लेबर की जरूरत, न बारदाने की और न ही तुलाई की। प्रति किलो उपज का किसान को लगभग 1000 रुपये का फायदा होता है। पेमेंट भी समय पर मिल जाती है। मंडी में 4 से 5 दिन लगते हैं। सिर्फ इतना ही नही मंडी में कई परेशानियों का सामना भी किसानो को करना पड़ता है। पानी की समस्या से लेकर खराब मौसम में तिरपाल आदि की व्यवस्था ना होने के चलते गेहूं खराब हो जाता है।

Shipra Saini

Shipra Saini

News Anchor


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