राकेश टिकैत एंड गैंग के खिलाफ SC का फूटा गुस्सा, कोर्ट ने पूछा लखीमपुर हिंसा की जिम्मेदारी लेगे आंदोलनजीवि ?

देश में नए कृषि कानूनो के विरोध के नाम पर हो रही अराजकता और गुंडागर्दी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राकेश टिकैत एंड गैंग को कड़ी फटकार लगाई है। किसान महापंचायत संगठन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। अदालत ने आगे कहा कि कानून तो अपना काम करेगा। अदालत ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
"Nobody takes responsibility when such unfortunate incidents take place," Supreme Court says while referring to Lakhimpur Kheri incident.
— ANI (@ANI) October 4, 2021
Attorney General KK Venugopal, for the Centre, says there should be no further protests to prevent incidents like in Lakhimpur Kheri
दरअसल, किसानों के एक समूह 'किसान महापंचायत' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'सत्याग्रह' की इजाजत मांगी है थी। और उन्हे हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। एक बार फिर जब सुनवाई हुई तो कोर्ट में 'किसान महापंचायत' अधिवक्ता अजय चौधरी कहा कि उन्होंने किसी सड़क को ब्लॉक नहीं कर रखा है। इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्या मतलब है? जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि कानून पर रोक लगी है, सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा कदम
— Live Adalat (@AdalatLive) October 4, 2021
सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा कि जब कृषि कानून अदालत में लंबित हैं तो किसान इस पर आंदोलन कर सकते हैं या नहीं
सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि विरोध का अधिकार " संपूर्ण अधिकार" है या नहीं
जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इसपर बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि 'तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से सहमति जताते हुए कहा कि जब तक कृषि कानूनों की वैधता तय नहीं हो जाती, तब तक विरोध जारी नहीं रह सकता।
AG: please make it clear they can't continue the protests, unfortunate incidents happen. #FarmersProtest #KisanAndolan
— Live Law (@LiveLawIndia) October 4, 2021
बात दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने किसान महापंचायत संगठन की ओर से एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी जिसर पर सुनवाई हुई कोर्ट ने साफतौर पर यह कहा कि सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या कानूनों को चुनौती देने के बाद विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जा सकती है ?