सजा से बचने के लिए सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार - अब न हो 33 साल पुराने मामले में सजा, खुद को बताया बेदाग
पंजाब विधानसभा चुनाव नतीजे आने से पहले ही पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की टेंशन बढ़ चुकी है। नवजोत सिंह सिद्धू ने 33 साल पुराने रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। जिसमे उन्होने पुनर्विचार याचिका खारिज करने की अपील की है। अपने राजनीतिक और खेल करियर को बेदाग बताते हुए कहा है कि सांसद के रूप में भी उनका रिकॉर्ड बेजोड़ रहा है। सिद्धू ने शीर्ष अदालत से कहा है कि वे कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। इस मामले में उन पर जुर्माना लगाया जा चुका है। अब उन्हें आगे सजा नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि 27 दिसंबर, १९८८ का ये रोड़रेज का मामला है। नवजोत सिंह सिद्धू पटियाला में कार से जाते हुए गुरनाम सिंह नाम के एक बुजुर्ग से भिड़ गए थे। गुस्से में नवजोत सिद्धू ने उन्हें मुक्का मार दिया, जिसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।
Congress leader Navjot Singh Sidhu urges Supreme Court to dismiss review petition in the road rage case against him. Sidhu, in reply to review petition, says the review petition is not maintainable and the incident happened 33 years ago. pic.twitter.com/jNn4o8SYUj
— ANI (@ANI) February 25, 2022
1988 के रोड रेज केस में सिद्धू पर ₹1,000 का जुर्माना लगाया गया था। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने रिव्यू पेटिशन दाखिल की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित परिवार की याचिका पर सिद्धू को सितम्बर 2018 में नोटिस मिली थी। इस घटना में 65 वर्षीय बुजुर्ग गुरनाम सिंह की मृत्यु हो गई थी। मामले में सिद्धू के साथ उनके साथी रुपिंदर सिंह संधू भी आरोपी है।
अब नोटिस के जवाब में सिद्धू ने कहा है, "एक राजनेता के तौर पर मैंने बहुत सारे सामाजिक और जनहित के काम किए हैं। मैंने तमाम जरूरतमंदों की सेवा की है। कई प्रोजेक्टों को स्थापित करने में सहयोग किया है। इसलिए मैं अब और अधिक दंडित किए जाने योग्य नहीं हूँ। आरोपी और पीड़ित के बीच कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। साथ ही मेरे द्वारा किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया था।"
इस मामले की सुनवाई जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच कर रही है। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट से ही सिद्धू को ₹1,000 जुर्माना भरने का दंड मिला था। सिद्धू पर धारा 323 IPC के तहत कार्रवाई हुई थी। इसमें अधिकतम 1 साल की जेल और ₹1,000 जुर्माना या दोनों एक साथ की सजा होती है। पीड़ित परिवार की तरफ से एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा बहस कर रहे हैं। पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट से सभी सबूतों की एक बार फिर से जाँच की माँग की है।
Shipra Saini
News Anchor