Pyara Hindustan
National

AAP नेता अमानतुल्लाह ख़ान ने UCC क़ानून के ख़िलाफ़ जताया विरोध, BJP नेता तजिंदर बग्गा ने दिया करारा जवाब

AAP नेता अमानतुल्लाह ख़ान ने UCC क़ानून के ख़िलाफ़ जताया विरोध, BJP नेता तजिंदर बग्गा ने दिया करारा जवाब
X

यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लेकर देश में बहस तेज हो गई है. कई राज्य सरकारों ने अपने यहां इसको लेकर कमेटी बनाई या बनाने की तैयारी में है तो वहीं दूसरी ओर इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग हो रही है.

UCC बिल को तुरंत ख़ारिज किया जाये- अमानतुल्लाह ख़ान

बता दे, AAP नेता अमानतुल्लाह खान ने इसके विरोध में आवाज़ उठाते हुए ट्वीट कर लिखा, "युनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लाकर भाजपा देश में अल्पसंख्यकों को प्राप्त अधिकारों को छीनना चाहती है, प्राइवेट मेंबर बिल के ज़रिये राज्यसभा में इस बिल को पेश कर भाजपा सिर्फ़ धुरवीकरण की राजनीति कर रही है. BJP का मक़सद जनता को बुनियादी मुद्दों से भटकाना है."

साथ ही उन्होंने आगे ट्वीट कर लिखा, "आज देश को महँगायी और बेरोज़गारी से बचाने के लिए बिल की ज़रूरत है जिससे देश का हर वर्ग परेशान है. लेकिन भाजपाइयों की राजनीतिक रोटी बिना मुसलमानों के सिकती ही नहीं. UCC बिल को तुरंत ख़ारिज किया जाये और जनहित के मुद्दों पर बात की जाये."

जनता ने अमानतुल्लाह ख़ान को लगाई लताड़

BJP नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने अमानतुल्लाह खान को कड़ी फटकार लगाते हुए लिखा, "बिल तो आएगा ही आएगा चाहे केजरीवाल को बिल में घुसना पड़े."

वही अश्वनी कुमार दुबे ने अमानतुल्लाह खान के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा, "UCC के बारे में भ्रम फैलाने से पहले पढ़ लीजिए संविधान सभा ने क्या कहा था? दुनिया का कोई भी दूसरा देश बताईए जहां नागरिकों के लिए दो संहिताएं हैं? दुनिया का कोई ऐसा देश बताईए जहां एक वर्ग के निजी धार्मिक कानून देश के कानून से ऊपर हैं? आप जन प्रतिनिधि हैं, सकारात्मक आचरण कीजिए."

वही संजीव उपाध्याय नाम के एक यूजर लिखते है, "साधारण भाषा में समझो मियां,"यूनिफार्म सिविल कोड" यानी "समान नागरिक संहिता" का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक समान नियम,यानी भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा,फिर वो चाहे किसी भी धर्म या जाति का हो.बराबरी का अधिकार से दिक्कत है क्या.?"

राज्यसभा में UCC से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल किया पेश

बता दे, UCC यानी सभी धर्म के लाेगों के लिए एक जैसा कानून. शादी-ब्याह, तलाक से लेकर संपत्ति बंटवारे तक एक जैसे नियम. बहरहाल, संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में शुक्रवार को इसी से जुड़ा प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया गया है.बीजेपी के किरोड़ी लाल मीणा ने इस बिल को कुछ संशोधनों के साथ पेश किया था. हालांकि विपक्षी दलों ने इस बिल का विरोध करते हुए हंगामा किया और वापसी की मांग की. UCC से जुड़ा यह प्राइवेट मेंबर बिल है और अभी यह केवल पेश ही किया गया है. स्पष्ट है कि इस बिल के जरिये कानून बनने तक अभी लंबा रास्ता है.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड का संबंध सिविल मामलों में कानून की एकरूपता से है. देश के हर व्यक्ति के लिए सिविल मामलों में एक समान कानून यूनिफॉर्म सिविल कोड की मूल भावना है. इसमें धर्म, संप्रदाय, जेंडर के आधार पर भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होती है. इस कोड के तहत देश के सभी नागरिकों पर विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, पैतृक संपत्तियों में हिस्सा, गोद लेने जैसे मसलों के लिए एक ही कानून होते हैं. समान नागरिक संहिता होने पर धर्म के आधार पर कोई छूट नहीं मिलती.

भारत में फिलहाल धर्म के आधार पर इन मसलों पर अलग-अलग कानून हैं. हिंदुओं, मुस्लिमों और ईसाइयों के लिए भारत में संपत्ति, विवाह और तलाक के कानून अलग-अलग हैं. अलग-अलग धर्मों के लोग अपने पर्सनल लॉ का पालन करते हैं. मुस्लिम, ईसाई और पारसियों का अपना-अपना पर्सनल लॉ है. हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं.

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


Next Story