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गुलाम नबी आजाद के समर्थन में उतरे कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, कहा- हम किराएदार नहीं हिस्सेदार, पार्टी में किसी को कुछ खैरात में नहीं मिला

गुलाम नबी आजाद के समर्थन में उतरे कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, कहा- हम किराएदार नहीं हिस्सेदार, पार्टी में किसी को कुछ खैरात में नहीं मिला
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गुलाम नबी आजाद की पाँच पन्नों वाली चिट्ठी से करीब दो साल पहले कॉन्ग्रेस के कुछ नेताओं ने सोनिया गाँधी को एक पत्र लिखा था. पत्र में पार्टी की स्थिति पर चिंता जताते हुए सवाल उठाए गए थे. पत्र लिखने वाले नेताओं के समूह को 'G-23' का टैग मिला. इस समूह में शामिल रहे गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कॉन्ग्रेस छोड़ दी. अब इस समूह के एक और नेता मनीष तिवारी ने पार्टी को खरी-खरी सुनाई है.

बता दे, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं, हम इस संस्था (कांग्रेस) के किरायेदार नहीं हैं, हिस्सेदार हैं. अब अगर आप हमें धक्कामार कर बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है, और यह देखा जाएगा. उन्होंने कहा है कि हम इस पार्टी में किराएदार नहीं है बल्कि हिस्सेदार हैं. हमें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है."

उन्होंने कहा, "दो साल पहले हम 23 लोगों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बताया था कि कांग्रेस की परिस्थिति चिंताजनक है जिसपर विचार करने की जरूरत है. इसके बाद भी कांग्रेस 10 विधानसभा चुनाव हार गई। कांग्रेस की बगिया को बहुत लोगों, परिवारों ने अपने खून से संजोया है. अगर किसी को कुछ मिला वो खैरात में नहीं मिला है."

आजाद ने इस्तीफा देते हुए जो चिट्ठी सोनिया गाँधी को भेजी है, उसमें राहुल गाँधी को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इसके कारण वे कई कॉन्ग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं। इस चिट्ठी को लेकर मनीष तिवारी ने कहा, "गुलाम नबी आजाद ने जो पत्र में लिखा है, उसके तथ्यों को वही बेहतर समझा सकते हैं। लेकिन लोगों को तब हँसी आती है, जब कॉन्ग्रेस नेताओं के 'चपरासी' जिनकी वार्ड चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है, वे पार्टी के बारे में ज्ञान देते हैं."

मनीष तिवारी ने आगे कहा कि ऐसा लगता है "1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती."

गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, "आजाद के त्याग पत्र की अच्छाई-बुराई में नहीं जाना चाहता. उन्होंने अपने तरीके से समझाने की पूरी कोशिश की. कांग्रेस नेताओं के चपरासी जब पार्टी के बारे में ज्ञान देते हैं तो यह हंसी का पात्र होता है. उन्होंने आगे कहा कि उत्तर भारत के लोग जो हिमालय की चोटी की ओर रहते हैं, यह जज्बाती, खुददार लोग होते हैं. पिछले 1000 साल से इनकी तासीर आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने की रही है. किसी को इन लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए."

बता दे, गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे के बाद जम्मू-कश्मीर में खुद की पार्टी बनाने की बात कही है. राज्य में उनके कई समर्थकों ने भी कॉन्ग्रेस से इस्तीफा दिया है. आने वाले दिनों में यह सिलसिला तेज होने के आसार हैं. आजाद ने अपनी चिट्ठी में सोनिया गाँधी को 'रबर स्टांप' बताते हुए कहा था कि राहुल गाँधी के पीएम और सुरक्षाकर्मी फैसले ले रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि 2013 में राहुल को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने के बाद पुरानी कॉन्ग्रेस को खत्म किया गया, जिसके कारण जमीनी नेता पार्टी से दूर होते गए.

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


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