EX एडिटर ने खोली दैनिक भास्कर की पोल, अवैध धंधे छुपाने के लिए सरकार पर लगा रहे आरोप।
EX एडिटर ने खोली दैनिक भास्कर की पोल, अवैध धंधे छुपाने के लिए सरकार पर लगा रहे आरोप।

हाल ही में दैनिक भास्कर ग्रुप और यूपी के मीडिया संस्थान भारत समाचार के सभी दफ़्तरों पर आयकर विभाग की छापेमारी की जा रही है। आयकर विभाग को ये सूचना मिली थी कि इन मशहूर मीडिया हाउस में इनकम टैक्स की धांधलेबाजी की जा रही है। वहीं जबसे आयकर विभाग ने दैनिक भास्कर पर छापेमारी का काम शुरू किया है तभी से विपक्ष दैनिक भास्कर के सपोर्ट में आवाज़ उठा रहा है। हर कोई निडर पत्रकारिता और सच्ची पत्रकारिता की दुहाई देते नहीं थक रहा। सोशल मीडिया पर भी विपक्ष द्धारा दैनिक भास्कर के सपोर्ट में कई तरह के ट्रेंड चलाए जा रहे हैं। लेकिन इस सब के बीच दैनिक भास्कर के पूर्व एडिटर ने दैनिक भास्कर ग्रुप का पूरा काला चिट्ठा सामने लाकर रख दिया है।
'No Holy Cow': Ex-Dainik Bhaskar Editor defends IT raids, talks about the media house being involved in 'illegal activity', harassing govthttps://t.co/r6qo3xmgDb
— Nupur J Sharma (@UnSubtleDesi) July 23, 2021
जी हाँ, आपको बता दें दैनिक भास्कर ग्रुप के साथ काम कर चुके LN शीतल ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट से पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने दैनिक भास्कर समेत कई बड़े मीडिया संस्थानों में होने वाले अवैध धंधों की पोलपट्टी खोल डाली। LN शीतल अपने पोस्ट में लिखते हैं, मीडिया कोई पवित्र गाय नहीं, जिसे रक्षा कवच हासिल हो।
LN शीतल लिखते हैं, देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस, भास्कर समूह पर आई टी और ईडी की छापेमारी को मीडिया पर हमला बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सरकार ने भास्कर ग्रुप के सत्ताविरोधी तेवरों से चिढ़कर उसे सबक़ सिखाने और अन्य अख़बारों व चैनलों को डराने के लिए ऐसा करवाया है। मैं बता दूँ कि ऐसा कहने वालों को मालूम होना चाहिए कि कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ऐसी कोई पवित्र गइया बिल्कुल नहीं जिसे रक्षा कवच प्राप्त हो। आगे उन्होंने कहा, कौन नहीं जानता कि विभिन्न अख़बार और चैनल बैनर की आड़ में तमाम तरह ,के ग़लत-सलत धंधे करते हैं और अपने उन धंधों से जुड़ी अवैध गतिविधियों की अनदेखी करने के लिए सरकारों पर अड़ी-तड़ी डालने में कोई कसर नहीं छोड़ते।भास्कर का नाम इनमें सबसे ऊपर है।
अख़बार के नाम पर सरकारों से औने-पौने दामों में ज़मीनें हथियाना और फिर उन ज़मीनों का मनमाना इस्तेमाल करना विशेषाधिकार है इनका। बिल्डरों के साथ मिलकर फ़्लैट बनवाने और बिकवाने साथ ही व्यापारियों से मिलकर उनके उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए अपने पाठकों को उकसाने का सत्कर्म करने में सबसे तेज़ गति वाला समूह है दैनिक भास्कर। मीडिया भी एक इंडस्ट्री है तो फिर अन्य इंडस्ट्री की तरह उस पर भी छापे क्यों नहीं पड़ सकते। मीडिया संस्थानों पर छापेमारी पड़ते ही कुछ लोग चिकना चिल्लाना शुरू कर देते हैं कि बदला लिया जा रहा है। आगे LN शीतल ने बताया कि, जो मीडिया संस्थान 1992 में 100 करोड़ का भी नहीं था वह 21 आते आते हजारों करोड़ का मालिक कैसे हो गया। यह किसी छिपा नहीं है इसे समझने के लिए ज़्यादा गयाना की ज़रूरत है।
There was a time when frank, free & fearless reporting was admired, &could intimidate wrongdoers in govts. Now the intimidation comes from the Govt, & dissimulation, discretion & defanging are the new watchwords. India needs papers like #DainikBhaskar to flourish. I stand w/them. https://t.co/r0ReylgxFZ
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 22, 2021
अब दैनिक भास्कर के समर्थन करने वाले बोल रहे हैं कि मीडिया की आज़ादी पर रोक लगाई जा रही है। सच बोलने वाली मीडिया की आवाज़ सरकार दबा रही है लेकिन इस बयान पर शायद ही किसी का मुंह भी खुले। लेकिन जब बात सरकार के समर्थन ने बोलने वाली मीडिया की आती है तब ये लोग चुप रहते हैं तब इन्हें मीडिया पर अत्याचार होता नहीं दिखता।