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भारत को UNSC का स्थायी सदस्य बनाने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया बड़ा बयान, तुर्की और चीन को भी लगाई लताड़

भारत को UNSC का स्थायी सदस्य बनाने को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया बड़ा बयान, तुर्की और चीन को भी लगाई लताड़
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आज के वक्त में जिस तरह से दुनिया भर में भारत का डंका बज रहा है, उसे कोई भी देश अनजान नहीं है। लेकिन भारत अभी तक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का स्थायी सदस्य नहीं बना है।जिसको लेकर अब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर का बड़ा बयान समाने आया है। उन्होने कहा है कि भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं होना केवल ''हमारे लिए ही नहीं'' बल्कि इस वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है और इसमें सुधार ''बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था।' इसी के साथ-साथ एस जयशंकर ने उन देशो को भी करारा जवाब दिया है जो वक्त- वक्त पर भारत को आंख दिखाते है। जब तुर्की ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की की बोलती बंद कर दी तो वही UNSC में भारत ने चीन को भी लताड़ लगाई है। तो वही रुस-युक्रेन से शांति की अपील करते हुए दोहराया है कि यह युद्ध का युग नहीं है।

आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में वार्षिक बैठक चल रही है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वार्षिक बैठक 17 से 28 सितंबर, 2022 तक चलने वाली है। जिसमे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर भारत का नेतृत्व कर रहे है। और इसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के लिए भारत काफी लंबे समय से दुनिया भर के तमाम देशो के साथ लामबंदी कर रहा है।जिसमें फिलहाल चीन और पाकिस्‍तान जैसे देश लगातार अड़ंगा साबित हो रहे हैं।

इसको लेकर अब जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से जब सवाल किया गया कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने में कितना वक्त लगेगा ? तो उन्होने कहा कि भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य नहीं होना केवल ''हमारे लिए ही नहीं'' बल्कि इस वैश्विक निकाय के लिए भी सही नहीं है और इसमें सुधार ''बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था।''उन्होंने कहा कि वह भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। एस.जयशंकर ने कहा कि ''जब मैं कहता हूं कि मैं इस पर काम कर रहा हूं तो इसका मतलब है कि मैं इसे लेकर गंभीर हूं।''

बता दें कि जयशंकर कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स के राज सेंटर में कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा, '' स्वभाविक रूप ये यह बहुत कठिन काम है क्योंकि अंत में अगर आप कहेंगे कि हमारी वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा क्या है। वैश्विक व्यवस्था की परिभाषा को लेकर पांच स्थायी सदस्य बहुत महत्वपूण हैं इसलिए हम जो मांग कर रहे हैं, वह बहुत ही मौलिक, बहुत गहरे बदलाव से जुड़ा है।''

मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं और इन देशों को किसी भी प्रस्ताव पर वीटो करने का अधिकार प्राप्त है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया है। तो वहीं ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली ने भी भारत को स्थाई सदस्य बनाए जाने का समर्थन किया। उनका कहना है कि भारत का वैश्विक मंच पर बेहद महत्वपूर्ण स्थान है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान की राह पर चलते हुए तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने कश्मीर का राग अलापा जिस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की के उस कमजोर नस को दबा दिया जिसे वह हमेशा टालने की फिराक में रहता है यानी साइप्रस का मुद्दा। साइप्रस का मुद्दा तुर्की के लिए हमेशा से सिरदर्द रहा है जिसपर वह जवाब देने से भागता रहता है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने महासभा की बैठक के बाद बुधवार को एक बार फिर से तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू के साथ बैठक की। बैठक के बाद एस जयशंकर ने एक ट्वीट कर कहा कि यूक्रेन संघर्ष, खाद्य सुरक्षा, जी-20 प्रक्रियाओं, वैश्विक व्यवस्था, गुटनिरपेक्ष आंदोलन और साइप्रस को लेकर बातचीत हुई। हमने साइप्रस मुद्दे पर समाधान को लेकर जानकारी ली।

जानें क्या है साइप्रस का मुद्दा

साइप्रस में लंबे समय से चल रही समस्या 1974 में शुरू हुई जब तुर्की ने द्वीप पर एक सैन्य तख्तापलट के जवाब में देश के उत्तरी हिस्से पर आक्रमण किया, जिसे ग्रीक सरकार द्वारा समर्थित किया गया था। भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुसार इस मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करता रहा है। भारत की कूटनीति को तुर्की के कश्मीर राग का करारा जवाब माना जाता है।

Shipra Saini

Shipra Saini

News Anchor


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