यूपी चुनाव से पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका। मानिकपुर विधानसभा से सपा उम्मीदवार वीर सिंह पटेल ने चुनाव लड़ने से किया इंकार।
यूपी चुनाव से पहले अखिलेश यादव को बड़ा झटका। मानिकपुर विधानसभा से सपा उम्मीदवार वीर सिंह पटेल ने चुनाव लड़ने से किया इंकार।
उत्तर प्रदेश चुनाव के चलते अब चित्रकूट से बड़ी खबर सामने आ रही है। वहीं इस खबर से समाजवादी पार्टी को यूपी चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है। बता दें ददुआ के बेटे और सपा के पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल ने चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है। समाजवादी पार्टी के चित्रकूट मानिकपुर विधानसभा सीट से वीर सिंह पटेल को टिकट दिया गया था, लेकिन वीर सिंह पटेल ने मानिकपुर सीट से चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया है।
Uttar Pradesh News
— News Arena (@NewsArenaIndia) February 4, 2022
Samajwadi Party candidate from Manikpur returns ticket & said he wants to contest from other constituency.
Seems BJP is heading towards wave.
आज वीर सिंह पटेल ने लखनऊ के सपा कार्यालय जाकर मानिकपुर से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, हम समाजवादी के सच्चे सिपाही हैं, सपा के लिए हमेशा कार्य करेंगे। लेकिन नई जगह पर चुनाव नहीं लड़ना चाहते, इसलिए मैंने कार्यालय जाकर अखिलेश यादव से चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। वहीं वीर सिंह पटेल के इस फैसले के बाद आज ही सपाइयों ने मानिकपुर में वीर सिंह पटेल का विरोध भी किया।
यूपी में सभी राजनीतिक पार्टियां सबसे मजबूत उम्मीदवार पर दाव लगा रही है। उत्तर प्रदेश की सत्ता पर कई बार समाजवादी पार्टी का राज रहा। लेकिन उन्नाव की मोहान सीट पर सपा कभी काबिज नहीं हो पाई। समाजवादी पार्टी का यह सपना अभी तक अधूरा है। उन्नाव में चौथे चरण 23 फरवरी को मतदान होना है। इसको लेकर अब तक कांग्रेस को छोड़ मोहान विधानसभा में किसी पार्टी ने कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है। वहीं इस सीट पर परिवर्तन कई बार हुआ लेकिन समाजवादी पार्टी का खाता तक नहीं खुला।
बता दें कि 2017 में भाजपा के बृजेश रावत ने मोहान में जीत हासिल की थी। बृजेश रावत के 54 हजार वोटों से ज्यादा की अप्रत्याशित जीत ने राजनीतिक पंडितों को भी हैरान कर दिया था। बृजेश रावत जिले की सभी विधानसभाओं में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने वाले विधायक बने। वहीं पुराने गणित के आधार पर जीत का मंसूबा पालने वाले सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी को भी हार का सामना करना पड़ा था।
वहीं मौलाना हसरत मोहानी के मोहान में मतदाताओं ने अब तक समाजवादी पार्टी को तवज्जो नहीं दी। आजादी के बाद से अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का खाता नहीं खुला है। यहां के मतदाताओं ने कांग्रेस, बीजेपी, BSP, कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा जनता पार्टी के प्रत्याशियों को भी मौका दिया। सबसे पहले सन 1951 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने जीत दर्ज की।
Manisha Dhindoria
Editor & Reporter