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ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने अपना फैसला हिंदू पक्ष के हक में दिया, महबूबा मुफ़्ती और ओवैसी की प्रतिक्रिया आई सामने

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी कोर्ट ने अपना फैसला हिंदू पक्ष के हक में दिया, महबूबा मुफ़्ती और ओवैसी की प्रतिक्रिया आई सामने
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ज्ञानवापी केस पर वाराणसी जिला अदालत ने सोमवार को हिंदू पक्ष के हक में फैसला सुनाया और मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया। अब इसपर PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने विवादित बयान दिया है. महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा कि ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा तो वही AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद की याद दिला दी।

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का बयान

बता दे, असदुद्दीन ओवैसी ने वाराणसी कोर्ट के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के फैसले से 1991 के वर्शिप एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है। ओवैसी बोले कि ज्ञानवापी मस्जिद का केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है और ऐसे तो देश में 80-90 के दशक में वापस चला जाएगा। ओवैसी ने यह भी कहा कि जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए। ओवैसी ने सोमवार को कहा कि मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली इंतजामिया कमेटी को हाई कोर्ट में इस फैसले को तुरंत चुनौती देनी चाहिए। वही ओवैसी ने कहा कि वक्फ बोर्ड के 1942 के गजट में इसे मस्जिद और इसे वक्फ की संपत्ति बताया गया। ओवैसी ने कहा, 'बाबरी मस्जिद पर जब फैसला आया तभी मैंने कहा था कि आगे और दिक्कत होगी। 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट मौजूद है फिर भी इस तरह का फैसला आता है। इस तरह के अदालती फैसलों से देश अस्थिर होगा।'

PDP चीफ महबूबा मुफ्ती का बयान

वही ज्ञानवापी मामले पर कोर्ट के फैसले पर रिएक्शन देते हुए महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, "प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद ज्ञानवापी पर अदालत के फैसले से दंगा भड़केगा और एक सांप्रदायिक माहौल पैदा होगा जो बीजेपी का एजेंडा है। यह एक खेदजनक स्थिति है कि अदालतें अपने स्वयं के फैसलों का पालन नहीं करती हैं।"

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दिया रिएक्शन

बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले से जुड़े अदालत के फैसले को निराशाजनक करार देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का क्रियान्वयन सुनिश्चित करे। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी के संबंध में जिला अदालत का प्रारंभिक फैसला निराशाजनक और दुखदायी है। उन्होंने आगे कहा कि 1991 में बाबरी मस्जिद विवाद के बीच संसद ने मंजूरी दी थी कि बाबरी मस्जिद को छोड़कर सभी धार्मिक स्थल 1947 में जिस स्थिति में थे, उन्हें यथास्थिति में रखा जाएगा और इसके खिलाफ कोई विवाद मान्य नहीं होगा। फिर बाबरी मस्जिद मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून की पुष्टि की.

कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका की खारिज

बता दे, कोर्ट ने माना कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनने के लायक है। वहीं अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसकी दलील थी कि ज्ञानवापी पर 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है। यानी ज्ञानवापी के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है।

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


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