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पंजाब में केजरीवाल सरकार के 'क्लीनिक मॉडल' की खुली पोल, सरकारी हॉस्पिटल के रूम में एंट्री न मिलने के कारण फ्लोर पर बच्चे को जन्म देने पर मजबूर हुई महिला

पंजाब में केजरीवाल सरकार के क्लीनिक मॉडल की खुली पोल, सरकारी हॉस्पिटल के रूम में एंट्री न मिलने के कारण फ्लोर पर बच्चे को जन्म देने पर मजबूर हुई महिला
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मंगलवार देर रात पठानकोट सिविल अस्पताल में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई। सिविल अस्पताल में रात 2 बजे डिलीवरी के लिए आई महिला को इमरजेंसी में तैनात स्टाफ ने बिना चेकअप रेफर कर दिया। महिला की हालत खराब होने के चलते पति ने स्टाफ के समक्ष मिन्नतें की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दो घंटे तड़पने के बाद महिला ने अस्पताल के बरामदे में ही बच्चे को जन्म दे दिया। पूरे मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिस पर लोग सिविल अस्पताल प्रबंधन को कोस रहे हैं और अरविन्द केजरीवाल के आम आदमी क्लिनिक को दोष देते हुए नज़र आ रहे है।

बता दे, कुछ दिन पहले ही अरविन्द केजरीवाल ने ट्वीट कर लिखा था, "पंजाब के लोग आम आदमी क्लिनिक से बहुत ख़ुश हैं। पूरे देश में अब हमें ऐसे क्लिनिक खोलने हैं।"

लेकिन इसके बावजूद ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है जो की इस तरह से इंसानियत को शर्मसार कर रही है। वही, बीजेपी नेता प्रवेश सिंह ने केजरीवाल को घेरते हुए सवाल पूछा और लिखा, "पंजाब में गरीब परिवार की महिला को फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा क्योंकि उसको अस्पताल के जच्चा बच्चा रूम में जाने से रोक दिया। अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान ने पंजाब को बर्बाद करवाकर पंजाबियत को धोखा दिलवा रहा है। केजरीवाल क्या कुछ शर्म बची है?"

ये सारे इल्ज़ाम बेबुनियाद है- SMO

बता दे, SMO डॉ. सुनील चांद का कहना है कि दंपती देर रात आया तो उनके पास महिला का कोई दस्तावेज नहीं था। महिला का कोई टेस्ट या अल्ट्रासाउंड नहीं करवाया गया था। अस्पताल स्टाफ ने उन्हें टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाने की बात कही तो वे भड़क गए। उन्हें सरकारी तौर पर फ्री में टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाने को कहा गया था। बिना टेस्ट डिलीवरी नहीं करवाई जा सकती। डिलीवरी के बाद स्टाफ ने मानवता के आधार पर दोनों को भर्ती किया और इलाज दिया, लेकिन दंपती सुबह बिना बताए कहीं चले गए। एसएमओ ने बताया कि उक्त महिला का यह पांचवां बच्चा था।

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


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