कश्मीर में शुरू हुए हिंदुओं के नरसंहार पर एक्शन में NIA, 40 शिक्षकों को किया तलब, आतंकी संगठनो पर कसा शिकंजा

जम्मू कश्मीर में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों की हत्या के बाद केन्द्र सरकार एक्शन में है। जम्मू-कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मीटिंग के बाद आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर सुरक्षाबल और जाँच एजेंसियों की कार्रवाई तेज हो गई है। जम्मू कश्मीर और श्रीनगर में एनआईए की छापेमारी लगातार जारी है। इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को जम्मू-कश्मीर में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों की लक्षित हत्याओं की जांच अपने हाथ में लेने के बाद अलग अलग स्कूलों के लगभग 40 शिक्षकों को पूछताछ के लिए बुलाया है। एनआईए ने औपचारिक रूप से स्थानीय पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली है।
बता दें कि एक बार फिर आतंक वादियो ने जम्मू कश्मीर में हिंदू और सिख अल्पसंख्यकों का नरसंहार कर कश्मीर की फिजा बिगाड़ने की साजिश रची है। पिछले दिनों आतंकियों ने 5 दिन में 7 लोगों की हत्या की गई है। यह हत्या धर्म पूछकर की गई है। इनमें दो शिक्षक भी थे जिनकी आईडी देखने के बाद उन्हें मारा गया और बाकी के जितने मुस्लिम शिक्षक थे उन्हें छोड़ दिया गया। इन घटनाओं ने घाटी के लोगों में डर भर दिया था।इनमें दो शिक्षक भी थे जिनकी आईडी देखने के बाद उन्हें मारा गया और बाकी के जितने मुस्लिम शिक्षक थे उन्हें छोड़ दिया गया। इन घटनाओं ने घाटी के लोगों में डर भर दिया था।
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— Panchjanya (@epanchjanya) October 5, २०२१
माखनलाल बिंदरू उन कुछ लोगों में शामिल थे, जिन्होंने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद शुरू होने के बाद भी पलायन नहीं किया. वे घाटी में ही डटे रहे और अपनी फार्मेसी 'बिंदरु मेडिकेट' को चलाते रहे. https://t.co/9MFszYXQGu
इसके अलावा श्रीनगर के इकबाल पार्क में माखन लाल बिंदरू सहित अलग-अलग आतंकवादी हमलों में आतंकवादियों द्वारा तीन नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। श्रीनगर में फार्मेसी बिंदू मेडिकेट के मालिक स्वर्गीय बिंदरू को एक बहादुर व्यक्ति के रूप में जाना जाता था, जो उन कुछ कश्मीरी पंडितों में से थे, जिन्होंने 1990 के दशक के दौरान जम्मू-कश्मीर में उग्रवाद की ऊंचाई के दौरान घाटी छोड़ने से इनकार कर दिया था, जब इस्लामिक आतंकवादियों ने लॉन्च किया था। हिंदुओं के खिलाफ एक जातीय सफाई अभियान।
जम्मू-कश्मीर में निशाना साध हो रही हत्याओं की निंदा सभी को करनी चाहिए। यह आश्चर्य की बात है कि कई नेता चुप हैं और कई नेताओं ने उत्तर प्रदेश का दौरा करना चुना है न कि जम्मू-कश्मीर का।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) October 9, 2021
हालाकि कश्मीर में इन घटनाओ के बाद केन्द्र सरकार एक्शन में है कश्मीर के हालात पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ मीटिंग की है। तो वही जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की तो गृह मंत्रालय ने देश की सुरक्षा एजेंसियों के टॉप एक्सपर्ट को कश्मीर भेज दिया है। वही दूसरी ओर एनआईए के एक्शन के बाद जमात-ए-इस्लामी, तहरीक-ए-हुर्रियत और अन्य जैसे इस्लामिक आतंकवादी संगठनों से जुड़े 400 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने आज जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, सोपोर और अनंतनाग में 15 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी आतंकवादी गतिविधियों को लेकर की गई थी और इसमें आतंकी पत्रिका 'वॉइस ऑफ हिंद' का मामला भी शामिल है।
लेकिन कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरी पंडितो का कत्लेआम यह बता रहा है कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल ३७० के खत्म होने के बाद अलगाववादी ,पत्थरबाज, और इनके आका महबूबा मुफ्ती , फारुख अब्बदुल्ला और पाकिस्तान कितना ज्यादा बौखलाया हुआ है। और एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की जम्मू कश्मीर अपने घर में वापसी उन्हे कितना परेशान कर रही है।