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मुश्किल में फंसीं ममता बनर्जी ममता बनर्जी, कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी के सारे रिश्तेदारों से प्रॉपर्टी का ब्यौरा मांगा

मुश्किल में फंसीं ममता बनर्जी ममता बनर्जी, कलकत्ता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी के सारे रिश्तेदारों से प्रॉपर्टी का ब्यौरा मांगा
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पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति में इजाफा को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट में दायर याचिका की मंगलवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान ममता बनर्जी की भाभी काजरी बनर्जी और अन्य सदस्यों ने मामले की स्वीकार्यता पर सवाल उठाया, लेकिन मामले के आवेदन के मद्देनजर कोर्ट ने सभी पक्षों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने 11 नवंबर तक सभी पक्षों को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.

वही मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को सुनवाई को होगी. बता दें कि ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति में इजाफे को लेकर वकील तरुण ज्योति तिवारी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उसी मामले की मंगलवार को सुनवाई हुई. मता बनर्जी परिवार के छह सदस्यों अमित बनर्जी, अजीत बनर्जी, समीर बनर्जी, स्वपन बनर्जी, गणेश बनर्जी, काजरी बनर्जी, पर संपत्ति बढ़ाने के आरोप है.

बता दें कि वकील तरुण ज्योति तिवारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सत्ता में आने के दो साल के बाद 2013 से ममता बनर्जी के रिश्तेदारों की संपत्ति में काफी वृद्धि हुई है. बता दें कि याचिका ने हाई कोर्ट में कहा था कि सीएम ममता बनर्जी के पांच भाई हैं. उनका ममता बनर्जी के प्रति काफी सम्मान है. दायर रिट याचिका के साथ शामिल किये गये दस्तावेज के अनुसार परिवार के सदस्यों की संपत्ति में अज्ञात स्त्रोत से काफी वृद्धि की बात कही गई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की थी कि कलकत्ता हाई कोर्ट मुख्यमंत्री के परिजनों और रिश्तेदारों की संपत्ति की जांच प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और आयकर विभाग से जांच करने का आदेश दे.

बता दें कि इसके बाद तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने रिश्तेदारों की संपत्ति में वृद्धि के आरोप को खारिज कर दिया था. ममता बनर्जी ने कहा था कि उनका कोई परिवार नहीं है, जो उनके उनके भाई और रिश्तेदार हैं, सभी अलग-अलग रहते हैं और सभी का अपना कारोबार है और उनमें से उनके कुछ बच्चे नौकरी भी करते हैं. कई डॉक्टर हैं और इंजीनियर हैं. वह पूर्व सांसद के रूप में मिलने वाली एक लाख रुपये की पेंशन नहीं लेती हैं और इसके साथ ही साल 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह सरकारी कोष से कोई वेतन नहीं लेती हैं. उनका खर्च उनके द्वारा लिखे गये पुस्तकों की रॉयल्टी से चलता है.

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


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