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मोदी सरकार ने रोका जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर, SC कॉलेजियम को वापस लेना पड़ा प्रस्ताव

मोदी सरकार ने रोका जस्टिस मुरलीधर का ट्रांसफर, SC कॉलेजियम  को वापस लेना पड़ा प्रस्ताव
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कॉलेजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केन्द्र सरकार के बीच बढ़ रहे विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने बड़ा फैसला लिया है। उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस.मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप मे ट्रांसफर करने के अपने प्रस्ताव को वापस ले लिया है । कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में इस बात का जिक्र किया है कि सिफारिश 28 सितंबर, 2022 से बिना किसी प्रतिक्रिया के भारत सरकार के पास लंबित है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक बयान में कहा कि कॉलेजियम ने 28 सितंबर 2022 को उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर को मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने का फैसला लिया। सिफारिश सरकार के पास पेंडिग है। डॉ. जस्टिस मुरलीधर अब 7 अगस्त 2023 को 4 महीने से कम समय के लिए पद छोड़ रहे हैं।

कॉलेजियम की जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति मुरलीधर 7 अगस्त 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और उनका चार महीने से कम का कार्यकाल बचा है। इस देरी को देखते हुए मद्रास हाईकोर्ट में एक स्थायी मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की सुविधा के लिए डॉ जस्टिस एस मुरलीधर के ट्रांसफर की सिफारिश करने वाले प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था।जिसे पिछले छह महीनों से स्थायी मुख्य न्यायाधीश के बिना छोड़ दिया गया था। कॉलेजियम ने बंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला को मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत करने का प्रस्ताव दिया है।

कॉलेजियम ने कहा है कि मद्रास हाईकोर्ट के लिए एक स्थायी मुख्य न्यायाधीश होना जरुरी था, जहाँ न्यायमूर्ति टी राजा 12 सितंबर, 2022 को पिछले मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी की सेवानिवृत्ति के बाद से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं।

28 सितंबर, 2022 को कॉलेजियम ने उड़ीसा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर को मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में ट्रांसफर करने की सिफारिश की थी । केंद्र ने एक ही प्रस्ताव में दूसरे मुख्य न्यायाधीश के तबादले की सिफारिश को मंजूरी दे दी। वहीं न्यायमूर्ति मुरलीधर के तबादले का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

बता दें कि जस्टिस एस मुरलीधर का नाम तब खुलकर सामने आया था जब साल 2020 में दिल्ली दंगे हुए। इन दंगों के बाद जस्टिस मुरलीधर ने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा समेत तमाम लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, साथ ही दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई थी।

Shipra Saini

Shipra Saini

News Anchor


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