मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देश में UCC लागू करने का किया विरोध, समान नागरिक संहिता को बताया असंवैधाानिक
देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की मांग लगातार तेज हो रही है। हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ - साफ शब्दो में यह बता दिया कि 'राम मंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर फैसले हो चुके है। इसके बाद बारी यूनिफॉर्म सिविल कोड की है। जिसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान सामने आया है जिसमें उन्होने समान नागरिक संहिता को असंवैधाानिक कदम करार देते हुए कहा कि इसे देश के मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे।
दरअसल देश में बीजेपी शासित राज्यो में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर कवायद तेज हो गई है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बयान सामने आया है जिसमे कहा गया कि यह असंवैधानिक कदम होगा और इसे देश के मुसलमान स्वीकार नहीं करेंगे। पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह ऐसा कोई कदम उठाने से परहेज करे।
पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने बयान में कहा कि "भारत का संविधान हर नागरिक को अपने धर्म के मुताबिक जीवन जीने की अनुमति देता है और यह मौलिक अधिकार भी है. इसी अधिकार के तहत अल्पसंख्यकों और आदिवासी वर्गों को उनकी रीति-रिवाज, आस्था और परंपरा के अनुसार अलग पर्सनल लॉ की अनुमति है." उनके मुताबिक, पर्सनल लॉ किसी तरह से संविधान में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि यह अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच परस्पर विश्वास को कायम रखने में मदद करता है।
All India Muslim Personal Law Board terms Uniform Civil Code an unconstitutional & anti-minorities step; calls it an attempt by Uttarakhand, UP and Central Govts to divert attention from inflation, economy & rising unemployment. AIMPLB also appeals to the Govt to not undertake it pic.twitter.com/HlIBsCaUbw
— ANI (@ANI) April 26, 2022
अपने इस लेटर में रहमानी ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश , उतराखंड सरकार या फिर केंद्र सरकार की ओर से समान नागरिक संहिता की बात करना असामायिक बयानबाजी भर है। हर कोई जानता है कि उनका उद्देश्य बढ़ती महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था और बढ़ती बेरोजगारी जैसे मुद्दों का समाधान करना नहीं है। समान नागरिक संहिता का मुद्दा असल मुद्दों से ध्यान भटकाने और नफरत और भेदभाव के एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए लाया जा रहा है।
बता दें कि उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला ले लिया है। वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने बारे में कदम उठाए जाने को एक अच्छी पहल करार दिया है।
Shipra Saini
News Anchor