Pyara Hindustan
National

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की विडिओग्राफी से बाहर आएगी सच्चाई? मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी पर जताई आपत्ति, भारी फ़ोर्स तैनात

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की विडिओग्राफी से बाहर आएगी सच्चाई? मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी पर जताई आपत्ति, भारी फ़ोर्स तैनात
X

अधिकवक्ता कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की देख रेख में वीडियोग्राफी होगी और अधिवक्ता कमिश्नर के साथ वादी औरो प्रतिवादी के 36 सदस्य भी मौजूद रहेंगे। साथ ही ये पूरी रिपोर्ट 10 मई को कोर्ट में पेश की जाएगी।

बता दे, आयोग की टीम कोर्ट के आदेश पर आज दोपहर तीन बजे मस्जिद पर पहुंची और इस दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के साथ वीडियोग्राफी टीम भी मौजूद रही. हालांकि मीडिया को अनुमति नहीं है. वाराणसी की एक स्थानीय अदालत ने उस क्षेत्र की वीडियोग्राफी करने का आदेश दिया था, जहां पर मां श्रृंगार गौरी की मूर्ति है. यह वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में है. बता दे ,मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित है. माना जा रहा है कि आज और कल यह वीडियोग्राफी करवाई जाएगी. अचानक ही दूसरे पक्ष के लोगो ने नारेबाजी शुरू कर दी और इसी बीच मंदिर के आसपास के लोग दहशत में आ गए और उनलोगो ने अपनी दुकाने भी बंद कर दी।

आपको बता दे, ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी को लेकर शुक्रवार सुबह से ही सुरक्षा बढ़ा दी गई है। परिसर को होर्डिंग आदि से ढक दिया गया है। सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गयी है। परिसर स्थित मां शृंगार गौरी के दर्शन-पूजन को लेकर दायर याचिका पर जिला अदालत ने कमीशन बैठाकर वीडियोग्राफी कराने का आदेश दिया है। इसके लिए छह व सात अप्रैल की तिथि तय की है। वहीं अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वीडियोग्राफी कराए जाने के फैसले का विरोध जताया है। जुमे की नमाज के लिए काफी संख्‍या में नमाजी पहुंचे थे और नमाज पढ़कर निकलने लगे।

वहीं जुमे की नमाज के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि आमतौर पर इतनी संख्या में लोग ईद के दिन भी नमाज के लिए नहीं पहुंचे थे। पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद है बेवजह भीड़ लगाने वालों को हटाया गया। वहीं शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए स्थानीय लोगों का भी सहयोग लिया जा रहा है। इस बीच परिसर के अंदर प्रवेश रोककर लोगों को वापस कर दिया गया, कुछ दुकानें भी बंद हुईं। पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश स्वयं चौक थाने पर कैम्प कर रहे हैं।

हिन्दू पक्ष की दायर याचिका की माने तो यहां मंदिर को 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़कर कर मस्जिद बनवाया। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है की यहां शुरू से ही मस्जिद है। वहीं देखे की अयोध्या राम मंदिर का जब मामला उठा था तो लखनऊ हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया था की वहाँ सर्वेक्षण किया जाए।

मुस्लिम कमिटी का कहना है की मस्जिद के अंदर विडिओग्राफी टीम को अंदर नहीं जाने देंगे वहीं हिन्दू धर्मगुरुओ का कहना है की जिस तरह से कोर्ट के आदेश का उलघ्घन करने की बात हो रही है उसपर कार्यवाही होनी चाहिए।

कैसे शुरू हुआ ये मामला ?

यूं तो वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी पुराना है लेकिन श्रृंगार गौरी को लेकर यह खींचतान पुरानी बात नहीं है। ये कहानी पिछले साल, यानी कि 17 अगस्त 2021 से शुरू होती है।

दरअसल, रेखा, राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू और मंजू व्यास नाम की पांच महिलाओं ने 17 अगस्त 2021 को शृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने को लेकर अदालत में वाद दाखिल किया था। उन्होंने मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन की मांग की थी। कोर्ट ने उनके वाद को अगले ही दिन स्वीकार कर लिया और सही स्थिति को जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को नोटिस भी जारी कर दिया और सुनवाई की अगली तारीख भी घोषित कर दी थी।

न्यायालय ने दो बार कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया लेकिन न तो कमीशन गठित हो पाया और न ही मंदिर में सर्वे ही कराया जा सका। इसके बाद 8 अप्रैल 2022 को सीनियर डिवीजन के कोर्ट ने अजय कुमार मिश्रा को कोर्ट कमिश्नर बनाया और मस्जिद की वीडियोग्राफी कराने का आदेश दे दिया। यह कार्रवाई 19 अप्रैल को होनी थी कि इसके ठीक एक दिन पहले 18 अप्रैल 2022 को वाराणसी के जिला प्रशासन और कमिश्नरेट ने इस पर रोक लगाने की मांग कर दी। प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था। साथ ही उन्होंने यह भी बताया था कि मस्जिद में सिर्फ सुरक्षाकर्मियों और मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही जाने की अनुमति है।

इस मुद्दे पर मंदिर के वादी और प्रतिवादियों के बीच जमकर बहस हुई। हालांकि, कोर्ट ने अपना पुराना आदेश जारी रखते हुए ईद के बाद और 10 मई 2022 के पहले वीडियोग्राफी की कार्रवाई करके रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दे दिया। इसी आदेश के तहत शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद में वीडियोग्राफी कराई जा रही है।

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


Next Story