NCP प्रमुख शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर कसा तंज,कहा - मुझे कभी किसी गवर्नर ने मिठाई नहीं खिलाई
NCP प्रमुख शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर कसा तंज,कहा - मुझे कभी किसी गवर्नर ने मिठाई नहीं खिलाई
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर एकनाथ शिंदे को मिठाई खिलने को लेकर तंज कसा और कहा की मैंने 1967 से शपथ ली है। मैंने 1972 से 1990 तक भी शपथ ली थी। लेकिन किसी राज्यपाल ने मुझे मिठाई नहीं खिलाया। जबकि शपथ गलत हो रही थी, राज्यपाल ने इसे नजरअंदाज कर दिया और हमने उन्हें फूलों का गुलदस्ता देते देखा। चलो खुश हुई है । कुल मिलाकर, उन्होंने अपने काम करने के तरीके को बदल दिया है। शरद पवार ने आगे कहा की मैंने बालासाहेब ठाकरे और धर्मवीर आनंद दिघे का नाम लिया था और जब हमारी सरकार आई तो मैं अग्रिम पंक्ति में बैठा था। हमारे एक सदस्य डॉ. बालासाहेब आंबेडकर और अन्य को याद करके शपथ की शुरुआत करते हैं..उसी राज्यपाल ने उन्हें फिर से शपथ दिलाई और मेरा नाम भी लिया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि श्री राज्यपाल कोश्यारी ने कल के शपथ ग्रहण के दौरान कोई आपत्ति नहीं की। गठबंधन सरकार ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त 12 सदस्यों के नाम प्रस्तावित कर कैबिनेट को भेजे थे। मूल रूप से राज्यपाल के लिए कैबिनेट द्वारा किए गए प्रस्ताव को मंजूरी देना अनिवार्य था, लेकिन लगभग ढाई साल तक उन्होंने प्रस्ताव को यथावत रखा और कोई निर्णय नहीं लिया।राज्यपाल का यह फैसला लोकतंत्र के लिए कितना उचित है, इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है। यह सब लोग जानते हैं। अब सुनने में आ रहा है कि राज्यपाल 12 विधायकों को लेकर फैसला लेंगे।
मी १९६७ पासून शपथा पाहिल्या आहेत. १९७२ ते १९९० पर्यंत मीसुद्धा शपथा घेतल्या. परंतु कुठल्याही राज्यपालांनी मला पेढा भरवला नाही. शपथ चुकीची होत असताना राज्यपालांनी दुर्लक्ष केले आणि पेढा भरवून फुलांचा गुच्छ देताना आपण पाहिले. चला आनंद आहे एकंदरीत त्यांनी कार्यपद्धतीत बदल केला. pic.twitter.com/r3PjXRZ65P
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) July 2, 2022
एक बात तो स्पष्ट हो जाएगी कि नामों को आधिकारिक तौर पर एक सरकार ने कैबिनेट के फैसले के साथ दिया था। ढाई साल में इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और नई सरकार आने पर उनके प्रस्ताव पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। उन्होंने आगे कहा की हम जो शपथ लेते हैं, मैं अपने सामने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को एक पूर्ण फैसला दूंगा, चाहे वह किसी भी पक्ष में हो लेकिन हम निश्चित रूप से तटस्थता की परिभाषा देख रहे हैं जो वर्तमान राज्यपाल लोगों को दे रहे हैं।पवार ने आगे कहा की चाहे विधानसभा चुनाव हो या सदन में बहुमत, पार्टी के व्हिप का पालन करना होता है। अगर वह नहीं मानेगा तो क्या होगा। एक पार्टी क्या है? एक विधायक दल और दूसरा दलीय संगठन।अब आप इसे देखें तो ऐसा लगता है कि यह एक तरफ है और दूसरी तरफ विधायिका की समिति। इसलिए कोर्ट को नहीं पता कि क्या होगा। पार्टियों की कुल संख्या को देखते हुए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि विधायिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि राज्यपाल अपना पद छोड़ने के बाद क्या करेंगे।
Anjali Mishra
News Anchor & Reporter