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असंसदीय शब्दों की सूची पर विपक्ष की नाराजगी,संजय राउत ने कहा -इस देश में अगर कोई बोलता है कि कोई शब्द असंसदीय है, ये मैं मानने को तैयार नहीं

असंसदीय शब्दों की सूची पर विपक्ष की नाराजगी,संजय राउत ने कहा -इस देश में अगर कोई बोलता है कि कोई शब्द असंसदीय है, ये मैं मानने को तैयार नहीं

असंसदीय शब्दों की सूची पर विपक्ष की नाराजगी,संजय राउत ने कहा -इस देश में अगर कोई बोलता है कि कोई शब्द असंसदीय है, ये मैं मानने को तैयार नहीं
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मॉनसून सत्र से पहले संसद (लोकसभा और राज्यसभा) में कई शब्दों पर कल पाबंदी लगाये जाने का ऐलान किया गया था, जिसपर राजनीति शुरू हो चुकी है और विपक्ष लगातार सरकार पर निशान साध रहे है। नागपुर में राकांपा प्रमुख शरद पवार ने इस मुद्दे पर कहा की हमें संसद अध्यक्ष से एक बयान मिला है कि ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है (संसद परिसर में विरोध की अनुमति नहीं है)। कल दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों के नेता एक साथ बैठकर चर्चा करेंगे।वही शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा की इस देश में अगर कोई बोलता है कि कोई शब्द असंसदीय है, ये मैं मानने को तैयार नहीं। ये देश सभ्य है। इस देश की सबसे बड़ी ताकत विनम्रता है। अगर ये कोई मानने को तैयार नहीं तो उन्हें अब बताना पड़ेगा ये देश क्या है, इसका इतिहास क्या है.


इस देश में अगर कोई बोलता है कि कोई शब्द असंसदीय है, ये मैं मानने को तैयार नहीं। ये देश सभ्य है। इस देश की सबसे बड़ी ताकत विनम्रता है। अगर ये कोई मानने को तैयार नहीं तो उन्हें अब बताना पड़ेगा ये देश क्या है, इसका इतिहास क्या है: असंसदीय शब्दों की नई सूची पर शिवसेना नेता संजय राउत pic.twitter.com/btRPLnFJho

बता दे इस मुद्दे को लेकर सुप्रिया सुले ने भी एक के बाद एक कई टवीट कर लिखा यदि हम दूसरे पक्ष को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं तो लोकतंत्र का विकास संभव नहीं है ऐसा महात्मा गांधी कहते थे। संसद के परिसर में प्रदर्शनों और विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के संसद सुरक्षा कार्यालय द्वारा जारी आदेश की कड़ी निंदा करते हैं।आजादी के बाद से ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने महात्मा गांधी जी की प्रतिमा के पास संसद परिसर में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किया, जिन्होंने सत्याग्रह के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि हमारा देश ब्रिटिश शासन से मुक्त हो।

इस हफ्ते की शुरुआत में संसद ने एक सर्कुलर जारी कर अपमान, गुमराह करने, झूठ और असत्य जैसे शब्दों और अन्य को असंसदीय शब्दों के रूप में वर्गीकृत किया। यह देखकर हैरानी होती है कि सरकार किस तरह से विरोध और विरोध की आवाजों को दबाने की मंशा रखती है।सरकार द्वारा जारी किया गया यह नोटिस असंवैधानिक है और महात्मा गांधी और भारत रत्न डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के विचारों के खिलाफ है।



Anjali Mishra

Anjali Mishra

News Anchor & Reporter


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