परमबीर सिंह के वकील जांच आयोग को दिया जवाब, देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप "सुनवाई" सामग्री पर आधारित

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से भले ही राहत दे दी हो। लेकिन महाराष्ट्र सरकार परमबीर सिहं को लगातार टार्गेट कर रही है। और अब परमबीर सिंह के वकील ने मंगलवार को एक जांच आयोग से कहा है कि तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उनके भ्रष्टाचार के आरोप "सुनवाई" सामग्री यानि अपवाहो पर आधारित थे और इसलिए अगर उन्होंने गवाह के रूप में गवाही दी तो भी इसका "कोई मूल्य नहीं" होगा।
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— Live Law (@LiveLawIndia) November 24, 2021
Ex- Mumbai CP #ParamBirSingh's counsel told an inquiry commission that his corruption allegations against former Home Minister #AnilDeshmukh were based on "hearsay" material and therefore even if he deposed as a witness it may have "no value." pic.twitter.com/JsGoCsxSX8
परमबीर सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने देशमुख के खिलाफ सिंह के भ्रष्टाचार के आरोपों की सत्यता की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय न्याय आयोग (सेवानिवृत्त) केयू चांदीवाल के समाने उन्होने यह कहा ।
यह पहले से ही कही गई बातों से ज्यादा कुछ नहीं कहेगा" मार्च 2020 में मुख्यमंत्री को लिखे अपने लेटर में परमबीर सिंह ने आरोप लगाया कि देशमुख ने बर्खास्त सिपाही सचिन वाजे और दो अन्य अधिकारियों को उनके लिए हर महीने बार मालिकों से अवैध रूप से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था। सिंह के पत्र के आधार पर शुरू की गई कई जांचों के बाद देशमुख जेल में है।
महाराष्ट्र सरकार ने देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया। आयोग द्वारा सिंह के खिलाफ कई समन और जमानती वारंट जारी करने के बावजूद वह अब तक इसके सामने पेश नहीं हुए हैं।
आयोग ने सिंह पर जून में 5,000 रुपये और दो अन्य मौकों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। सिंह ने नवंबर में आयोग के समक्ष एक हलफनामा दायर कर कहा कि वह इसके समक्ष पेश नहीं होना चाहते हैं।
"The affidavit will take a week. It will say nothing more than what has already been said. Which is that the information given to him was provided by some officers he has no first hand information of what transpired. His information in that sense is hearsay."#ParamBirSingh
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