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सिंघू बॉर्डर पर हुई किसान संगठन की मीटिंग से राकेश टिकैत हुए बाहर। क्या समझौते की तरफ बढ़ रहा है आंदोलन?

सिंघू बॉर्डर पर हुई किसान संगठन की मीटिंग से राकेश टिकैत हुए बाहर। क्या समझौते की तरफ बढ़ रहा है आंदोलन?

सिंघू बॉर्डर पर हुई किसान संगठन की मीटिंग से राकेश टिकैत हुए बाहर। क्या समझौते की तरफ बढ़ रहा है आंदोलन?
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किसान आंदोलन समझौते की तरफ़ बढ़ रहा है। ये कहना है राकेश टिकैत का। अपने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार हमारी माँगे नहीं मान रही है जबकि एंकर ने राकेश टिकैत को बताया कि उन्हीं के साथ आंदोलन कर रहे कई किसान नेताओं से उन्होंने बात की है और उन सभी का कहना है कि सरकार ने किसानों की सभी माँगे मान ली अब आंदोलन ख़त्म कर घर जाना चाहते हैं और दूसरी तरफ़ आप बोल रहे हैं कि आपको कुछ पता नहीं। क्या संयुक्त किसान मोर्चा में फूट पड़ रही है। इस पर राकेश टिकैत ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा एक साथ है और 4 दिसंबर को हमारी मीटिंग है जिसमें वे आंदोलन को आगे बढ़ाने की रणनीति पर बात करेंगे।

जिस तरह से राकेश टिकैत लगातार अपनी ज़िद्द पर अड़े हुए हैं उससे ये साफ़ लगता है कि वे आंदोलन को ख़त्म करना नहीं चाहते हैं। जबकि सतनाम सिंह, और अन्य कई किसान संगठन के किसान नेताओं ने ये बात मान ली है कि सरकार से उनकी जो भी माँगे थी वो सभी केंद्र सरकार ने पूरी कर दी है, अब आंदोलन ख़त्म कर घर लौटने का समय है। वहीं ख़बर ये भी है कि सिंघू बॉर्डर पर किसान संघटनों की मीटिंग हुई जिससे राकेश टिकैत को बाहर रखा गया है। राकेश टिकैत सरकार के सामने अपना अलग की एजेंडा लेकर बैठे हैं। जिसका आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है।

राकेश टिकैत लगातार अपने बयानों में ये बोलते नज़र आ रहे हैं कि सरकार उन्हें बात करने के लिए नहीं बुला रही है। वहीं सरकार ने कई किसान नेताओं से बातचीत कर एसएसपी पर कमेटी बनाने के लिए 5 किसान नेताओं के नाम माँगे हैं और साथ जो मुक़दमे आंदोलन के दौरान आंदोलन में शामिल लोगों पर हुए वह सभी वापस भी करने का फ़ैसला लिया। किसान नेता सतनाम सिंह का भी यही कहना है कि सरकार ने उनकी बातें मान ली है। लेकिन दूरी और राकेश टिकैत चाहते हैं कि सरकार टेबल पर बातचीत करे। जैसे ११ दौर की बातचीत किसान नेताओं और कृषि मंत्री के साथ हुई वैसी ही बातचीत फिर से राकेश टिकैत चाहते हैं।

अगर बात करें एसएसपी की तो कृषि क़ानून कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने राकेश टिकैत को खुली चुनौती दी है। टिकैत को अनिल घनवट ने बहस की चुनौती दी है. अनिल घनवट सुप्रीम कोर्ट ने किसान कानून को लेकर जो कमेटी बनाई थी उसके सदस्य हैं. अनिल घनवट का कहना है MSP पर कानून बनाना संभव नहीं है।

अनिल घनवट ने कहा, 'एमएसपी पर कानून बनाना संभव नहीं है। अगर देश की सभी फसलों की कीमत कानूनी तौर पर तय कर दी जाती है, लेकिन अगर ट्रेडर्स को उसमें मुनाफा दिखाई नहीं देता है तो फसल की खरीद नहीं होगी. फिर किसान सरकार के पास जाएगा। सरकार के पास इतना पैसा है नहीं कि वह कोई फसल खरीद कर रख सके।'

उन्होंने आगे कहा, 'दूसरी बात ये है कि 110 लाख टन गेंहू और चावल का स्टॉक है. करीब-करीब दो लाख करोड़ रुपये फंसा हुआ है। स्टॉक करने के लिए सरकार के पास गोदाम नहीं है। अनाज बेकार हो रहा है. जरूरतमंद लोगों तक अनाज पहुंचता नहीं है. सरकारी आंकड़े ये कहते हैं कि 46 फीसदी अनाज बेकार हो जाता है। ग्राहकों तक ये अनाज पहुंचता नहीं है।अगर ये सिस्टम इसी तरह चलता रहा तो देश का बहुत सारा पैसा इसमें अटक जाएगा। ये तभी संभव है जब देश में कुछ आर्थिक सुधार हो जाए।'

Manisha Dhindoria

Manisha Dhindoria

Editor & Reporter


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