रविशंकर प्रसाद : कांग्रेस की ओर से सरकार पर पेगासस प्रोजेक्ट चलाने के आरोप आधारहीन

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस कांफ्रेंस के मुख्य बिंदु
भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस द्वारा राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए लगाए गए तथ्यहीन, निराधार और बेबुनियाद टिप्पणियों का पुरजोर खंडन करते हुए निंदा करती है। यह कांग्रेस की एक नई किस्म की निम्नतम स्तर की राजनीति है जिसने 50 से अधिक वर्षों से भारत पर शासन किया है।
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यह पेगासस की फर्जी कहानी मानसून सत्र से ठीक पहले क्यों गढ़ी गई? क्या इसे मानसून सत्र से ठीक पहले लाना कुछ लोगों की पूर्व नियोजित रणनीति थी? जानबूझकर मानसून सत्र के समय सदन को बाधित करने और देश में बेबुनियाद एजेंडा खड़ा करने की कोशिशें की जा रही है और इसका कारण यह है कि कांग्रेस पार्टी अब सिमट रही है और हार रही है।
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इस फर्जी कहानी से भारत सरकार को जोड़ने वाले साक्ष्य का एक भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है। यह फर्जी रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र और इसकी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास प्रतीत होती है।
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क्या हम इस बात से इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी जैसी संस्थाओं का कई मायनों में भारत विरोधी घोषित एजेंडा रहा है? जब हमने उनसे कानून के अनुसार उनके विदेशी फंडिंग के बारे में पूछा तो वे भारत से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया।
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इस रिपोर्ट में संदिग्ध लोगों के साथ सांठगांठ चलाने वाले विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भी संलिप्तता है। यह शर्मनाक है कि कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे संगठनों की लाइन को तोते की तरह दुहरा रही हैं! यदि हमारे विपक्षी दल 'सुपारी' एजेंटों के रूप में शामिल हैं तो यह भारत के लिए एक नया निम्न स्तर है।
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2013 के एक आरटीआई जवाब से पता चला कि उस समय कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा हर महीने लगभग 9,000 फोन और 500 ईमेल खातों की निगरानी की जाती थी। यह भी सर्वविदित है कि हरियाणा के दो सिपाही राजीव गांधी जी के आस पास देखे गए तो उन्होंने केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार गिरा दी थी। यही कांग्रेस का चरित्र है।
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हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भी फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। ये आरोप कांग्रेस के ही विधायकों के द्वारा लगाए गए। लोगों की निजता और स्वतंत्रता के उल्लंघन के कांग्रेस के इतिहास के बारे में हर कोई जानता है।
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जिन लोगों ने कहानी गढ़ी है, उन्होंने भी यह दावा नहीं किया कि डेटाबेस में किसी विशेष मोबाइल नंबर की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि यह पेगासस से संक्रमित है।
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दुनिया भर में ऐसे कई संभावित डेटाबेस हो सकते हैं जिनमें लोगों के नंबर/नाम हों। जब तक कुछ भी सबूत प्रस्तुत नहीं किए जाते, ऐसे किसी भी डेटाबेस को सीधे भारत सरकार से कैसे जोड़ा जा सकता है?
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यहां तक कि इस डेटाबेस से कथित संभावित लीक के संबंध में, इस कहानी को गढ़ने वाले लोगों का भी यह मानना है कि डेटाबेस में एक फोन नंबर की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि उसे पेगासस से हैक करने का प्रयास किया गया या वह नंबर हैक हुआ।
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हमारे आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने आज संसद में इस तथ्य की भी पुष्टि की कि केंद्र के गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव की अनुमति से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार ही एक फोन का वैध इंटरसेप्शन किया जा सकता है।
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एनएसओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके ग्राहक ज्यादातर पश्चिमी देश हैं। तो इस मामले में भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे की कहानी क्या है? क्या है कहानी में ट्विस्ट?
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भारत में बह रही विकास की धारा 'कुछ ताकतों' के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखी जा रही है। यह सर्वविदित था कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। संसद सत्र को पटरी से उतारने की कोशिश में एक ख़ास समय पर एक समन्वित वैश्विक हमला होता है। क्या यह महज संयोग है? या यह वैश्विक ताकतों के गुलाम के बजाय आत्मनिर्भर बनने की चाहत रखने वाले भारत के खिलाफ एक बदला है?
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हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के तहत पिछले कुछ वर्षों में भारत के उत्थान ने कुछ अंतर्राष्ट्रीय गुटों और अंतर्राष्ट्रीय ताकतों को झकझोर दिया है। इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ लगातार और घृणित एजेंडा चलाया है।
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क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कथित तौर पर पेगासस का उपयोग 45 देश कर रहे हैं, लेकिन भारत जिसने पेगासस का उपयोग करने के आरोपों से इनकार किया है, उसे निशाना बनाया जा रहा है और बाकी देशों के बारे में कोई बात नहीं हो रही? या यह अकेले भारत को लक्षित करने के लिए एक और टूलकिट है? साफ है कि भारत को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश चल रही है।
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री रविशंकर प्रसाद ने आज, सोमवार को पार्टी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और कथित पेगासस जासूसी की झूठी रिपोर्टों पर कांग्रेस और एजेंडा संचालित कुछ एजेंसियों को जम कर फटकार लगाई। रिपोर्ट को निराधार बताते हुए, उन्होंने सभी आरोपों को सनसनीखेज बनाने का प्रयास करार दिया। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस द्वारा राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए लगाए गए तथ्यहीन, निराधार और बेबुनियाद टिप्पणियों का पुरजोर खंडन करते हुए निंदा करती है। यह उस पार्टी की एक नई किस्म की निम्नतम स्तर की राजनीति है जिसने 50 से अधिक वर्षों से भारत पर शासन किया है।
भाजपा नेता श्री रविशंकर प्रसाद ने कथित 'पेगासस प्रोजेक्ट' के बारे में मीडिया रिपोर्ट पर कहा कि अभी तक एक भी सबूत ऐसा नहीं है जो इस विवाद से केंद्र सरकार या भाजपा को जोड़ता हो। उन्होंने कहा कि यह स्पाइवेयर का एक डिजिटल मामला है, और कांग्रेस द्वारा लगाए गए इस तरह की आरोपों की पुष्टि के लिए डेटा प्रारूप में कम से कम कुछ ठोस सबूत प्रस्तुत किए जाने चाहिए। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि कल हमने एक फ्रिंज न्यूज पोर्टल की सनसनीखेज रिपोर्ट देखी थी, जो फर्जी खबरें फैलाने के लिए बदनाम है। उन्होंने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री के संसद में दिए गए बयान का भी हवाला दिया कि हमारे आईटी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने आज संसद में इस तथ्य की भी पुष्टि की कि केंद्र के गृह सचिव या राज्य के गृह सचिव की अनुमति से भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5 के प्रावधानों के तहत प्रासंगिक नियमों के अनुसार ही एक फोन का वैध इंटरसेप्शन किया जा सकता है। यह महज एक संयोग नहीं हो सकता।
श्री प्रसाद ने कहा -
सबसे पहले इस फर्जी कहानी से भारत सरकार को जोड़ने वाले साक्ष्य का एक भी सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया है।
दूसरा, दुनिया भर में कई संभावित डेटाबेस हो सकते हैं जिनमें लोगों की संख्या/नाम शामिल हैं। जब तक कुछ भी सबूत प्रस्तुत नहीं किए जाते, ऐसे किसी भी कथित डेटाबेस को सीधे भारत सरकार से कैसे जोड़ा जा सकता है?
तीसरा, यहां तक कि इस डेटाबेस से कथित संभावित लीक के संबंध में, इस कहानी को गढ़ने वाले लोगों का यह भी दावा है कि डेटाबेस में एक फोन नंबर की उपस्थिति का मतलब यह नहीं है कि उसे पेगासस से हैक करने का प्रयास किया गया या वह नंबर हैक हुआ।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस रिपोर्ट गढ़ने वालों ने भी यह माना है कि यह नहीं कहा जा सकता कि प्रकाशित सूची में नंबर निगरानी में थे। यहां तक कि जिस कंपनी की तकनीक का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया था, उसने भी इन दावों का सिरे से खंडन किया है। और यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनधिकृत निगरानी न हो, हमारे देश में समय की जांच की गई प्रक्रियाएं अच्छी तरह से स्थापित हैं।
भारत विरोधी तत्वों के बीच गठजोड़ पर हमला करते हुए श्री प्रसाद ने कहा कि इस रिपोर्ट में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों की संलिप्तता है जो इस रिपोर्ट में संदिग्ध लोगों के साथ एक गठजोड़ चलाते हैं। यह गठजोड़ लगातार भारत, उसके लोगों और उसके विकास के खिलाफ एजेंडा चलाता है। यह शर्मनाक है कि कांग्रेस जैसी पार्टियां ऐसे संगठनों की लाइन को तोते की तरह दुहरा रही हैं! यदि हमारे विपक्षी दल 'सुपारी' एजेंटों के रूप में शामिल हैं तो यह भारत की राजनीति में एक नया निम्न स्तर है।
श्री प्रसाद ने एमनेस्टी इंटरनेशनल पर भी हमला करते हुए कहा कि "क्या हम इस बात से इनकार कर सकते हैं कि एमनेस्टी जैसी संस्थाओं का कई मायनों में भारत विरोधी घोषित एजेंडा रहा है? जब हमने उनसे कानून के अनुसार उनके विदेशी फंडिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने भारत से बोरिया बिस्तर समेट लिया।" जिन लोगों ने कहानी को गढ़ा है, उन्होंने भी यह दावा नहीं किया कि डेटाबेस में किसी विशेष फोन नंबर की उपस्थिति इस बात की पुष्टि करती है कि यह पेगासस से संक्रमित है। इन सभी तथ्यों को राष्ट्र के सामने प्रकट करना महत्वपूर्ण है। व्हाट्सएप ने विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तर्क दिया कि कंपनी प्रणाली के पेगासस द्वारा उसका डेटा हैक नहीं किया जा सकता है। उन्होंने सवाल किया कि स्पाइवेयर के इस्तेमाल के लिए सिर्फ भारत को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है जबकि ऐसा कहा जा रहा है कि कथित तौर पर 45 देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, "पेगासस के निर्माता एनएसओ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उसके ग्राहक ज्यादातर पश्चिमी देश हैं। तो इस मामले में भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? इसके पीछे की कहानी क्या है? कहानी में क्या ट्विस्ट है?"
भारत में बह रही विकास की धारा 'कुछ ताकतों' के लिए खतरे की घंटी के रूप में देखी जा रही है। यह सर्वविदित था कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। संसद सत्र को पटरी से उतारने की कोशिश में एक ख़ास समय पर एक समन्वित वैश्विक हमला होता है। क्या यह महज संयोग है? या यह वैश्विक ताकतों के गुलाम के बजाय आत्मनिर्भर बनने की चाहत रखने वाले भारत के खिलाफ एक बदला है? ऐसा लगता है कि कोविड को परास्त करता हुआ भारत कुछ विदेशी तत्वों के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है और कुछ भारतीय, भारत के विकास के एजेंडे को विचलित करने और बाधित करने में उनकी मदद कर रहे हैं। वे संसदीय कार्यवाही को बाधित करने के लिए कोई न कोई मुद्दा खड़ा करना चाहते हैं और इस पेगासस मुद्दे का पहले ही पटाक्षेप हो जाने के बावजूद, दुर्भावनापूर्ण इरादे से फिर से जगाने की कोशिश की जा रही है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत के उत्थान ने कुछ अंतरराष्ट्रीय गुटों और ताकतों को झकझोर दिया है। इन लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ एक निरंतर और घृणित एजेंडा चलाया है - कभी यह भारत की विविधता और बहुलवाद के बारे में होता है, कभी यह भारतीय समाज में दरार पैदा करने के बारे में होता है, कभी यह भारत में विकास परियोजनाओं को रोकने के बारे में होता है तो कभी यह इस पेगासस मामले की तरह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि धूमिल करने हेतु गैर-मुद्दों को उठाने के बारे में। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 45 देश कथित तौर पर पेगासस का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन भारत जिसने पेगासस का उपयोग करने के आरोपों से इनकार किया है, उसे निशाना बनाया जा रहा है। क्या बाकी सभी देश इससे ऊपर हैं? या यह अकेले भारत को लक्षित करने के लिए एक और टूलकिट है? साफ है कि भारत को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश चल रही है।
श्री प्रसाद ने कहा, 2019 में कांग्रेस पार्टी और कुछ लोगों ने यह आरोप लगाने की कोशिश की कि सरकार निगरानी करने के लिए पेगासस नामक स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रही है। जब उन्हें मुंह की कहानी पड़ी, तब ये उन्हीं बातों को फिर से वापस लेकर आये हैं क्योंकि इनके पास कोई मुद्दा नहीं है और ये संसद में बहस से भागना चाहते हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, व्हाट्सएप ने इन आरोपों का खंडन किया था कि उसके डेटा को इजरायली स्पाइवेयर पेगासस द्वारा हैक किया जा सकता है। वहां व्हाट्सएप का प्रतिनिधित्व कपिल सिब्बल जी कर रहे थे। अब, अगर कुछ लोगों को सरकार या भाजपा पर भरोसा करने में समस्या है, तो वे कम से कम श्री सिब्बल पर भरोसा कर सकते हैं! कुछ राजनीतिक दलों और मीडिया के कुछ वर्गों को बदलाव के लिए यह देखना चाहिए कि क्या वे अपनी अतिसक्रिय कल्पना पर रिपोर्ट करने और खुद को शर्मिंदा करने के बजाय कुछ वास्तविक मुद्दों को ढूंढ सकते हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि 2013 के एक आरटीआई जवाब से पता चला है कि उस समय कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा हर महीने लगभग 9,000 फोन और 500 ईमेल खातों की निगरानी की जाती थी। श्री चिदंबरम, तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने एक अन्य केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी को फटकार लगाई थी। यह भी सर्वविदित है कि हरियाणा के दो सिपाही राजीव गांधी जी के आस पास देखे गए तो उन्होंने केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार गिरा दी थी। यही कांग्रेस का चरित्र है। हाल ही में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भी फोन टैपिंग का आरोप लगाया गया था। ये आरोप कांग्रेस के ही विधायकों के द्वारा लगाए गए। लोगों की निजता और स्वतंत्रता के उल्लंघन के कांग्रेस के इतिहास के बारे में हर कोई जानता है।
Why was this Pegasus story brought just before the monsoon session?
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) July 19, 2021
Was it a pre-planned strategy by some people to bring it before the monsoon session? pic.twitter.com/WWfk8tpn8b
Can we deny that bodies like Amnesty had a declared anti-India agenda in many ways? They withdrew from India when we asked them about their foreign funding as per law. pic.twitter.com/w0JkaOtgMT
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) July 19, 2021