PM मोदी के कार्यकाल में देश की गरीबी बहुत तेजी से घटी है,विश्व बैंक की रिपोर्ट ने उजागर की देश की प्रगति की तस्वीर
विश्व बैंक ,PM मोदी, ,भारत
प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में देश की गरीबी बहुत तेजी से घटी है, 8 साल में 12.3% देश की गरीबी घटी है
2015 से 2019 के दौरान देश की गरीबी में वर्ष 2011-2015 के मुकाबले अधिक कमी आई। इस बात की जानकारी हाल ही में प्रकाशित विश्व बैंक के पालिसी रिसर्च पेपर में दी गई है। रिसर्च पेपर के मुताबिक, 2011 में अति गरीबी की दर 22.5 प्रतिशत थी, तो 2015 में यह 19.1 प्रतिशत हो गई। वहीं, 2019 में अति गरीबी की दर 10 प्रतिशत रह गई। यानी 2011 से 2015 के बीच अति गरीबी की दर में 3.4 प्रतिशत की कमी आई। 2015 से 2019 के बीच अति गरीबी की दर में 9.1 प्रतिशत की गिरावट हुई, जो 2011-15 के मुकाबले 2.6 गुना अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2013-19 के बीच सबसे छोटे आकार का खेत रखने वाले किसानों की आय में भी हर साल 10 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई। मई 2014 से देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार है। इससे पहले मई 2004 से लेकर मई 2014 तक संप्रग की सरकार थी
राहत की बात है कि भारत में अति गरीबी घटाने के उपायों का असर जमीन पर दिखने लगा है। विश्व बैंक के अनुसार 2011 में यह 22.5% थी जो 2019 में घट कर 10% रह गई। दिहाड़ी मज़दूरी में बढ़ोतरी के कारण गरीबी दर कम हो रही है। हालाँकि अब भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
— Akhilesh Sharma (@akhileshsharma1) April 18, 2022
ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा घटी गरीबी
रिपोर्ट में कहा गया है कि शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में अधिक कमी आई है, क्योंकि ग्रामीण गरीबी 2011 में 26.3% से घटकर 2019 में 11.6% हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह गिरावट इसी अवधि के दौरान 14.2% से घटकर 6.3% हुई गई भारत में गरीबी शीर्षक से प्रकाशित इस पेपर में कहा गया है कि "ग्रामीण और शहरी गरीबी में 2011-2019 के दौरान 14.7 और 7.9 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है." हालांकि यह भी कहा गया है कि पिछले दशक में गिरावट तो आई है, लेकिन उतनी नहीं, जितना पहले सोचा गया था
छोटे किसानों की आय में वृद्धि हुई है. इसमें कहा गया है कि जिन किसानों के पास कम जमीन थी, उनकी आय 10 फीसदी बढ़ी है, जबकि ज्यादा जमीन वाले किसानों की आय में 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
विश्व बैंक का पेपर इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि भारत के पास हाल ही की इस अवधि का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. पिछला व्यय सर्वेक्षण (expenditure survey) 2011 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (NSSO) द्वारा जारी किया गया था.
Shyren Messy
Editor & Reporter