ममता बनर्जी को बांग्ला एकेडमी अवॉर्ड मिलने से भड़के साहित्यकार,कहा - ममता को अवॉर्ड देना साहित्यकारो की बेइज्जती
अपने मुंह मीया मिट्ठू बनना ये मुहावरा आपने जरुर सुना होगा... यह मुहावरा पश्चिन बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर बिल्कुल फिट बैठ रहा है। दरअसल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी खुद को ही पुरुस्कार बांट रही है। जिसके चलते बंगाल का सियासी पारा एक बार फिर बढ़ चुका है। अवॉर्ड वापसी की सिलसिला भी शुरु हो गया है। साहित्यकारो का कहना है किममता बनर्जी को यह अवॉर्ड देना यह ऐसे लोगों की बेइज्जती है जो साहित्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं।
दरअसल गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 161वीं जयंती के मौके पर पश्चिमबंग बांग्ला एकेडमी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक नया अवॉर्ड देने का ऐलान किया था। सरकारी कार्यक्रम में उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया। अब कई साहित्यकार अकैडमी के फैसले के विरोध में उतर आए हैं। बंगाली लेखक रत्ना राशिद बंदोपाध्याय ने अपना अवॉर्ड अकैडमी को वापस कर दिया। बता दें कि रत्ना राशिद बनर्जी ने 'अन्नद शंकर स्मारक सम्मान' लौटाया है, जिससे अकादमी ने साल 2019 में उन्हें सम्मानित किया था।
बंगाली लेखिका रत्ना राशिद बनर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को साहित्यिक सम्मान मिलने के विरोध में 'आनंदा शंकर स्मारक सम्मान' लौटा दिया है. रत्ना को ये सम्मान पश्चिम बांग्ला अकादमी ने 2019 में दिया था।#WestBengal #RatnaRashidBanerjee#MamataBanerjee #PashchimBangaBanglaAcademy pic.twitter.com/qvQpwlFs4v
— India News Haryana (@indianews_hr) May 11, 2022
रत्ना राशिद बनर्जी ने पश्चिमबंग बांग्ला अकैडमी को लेटर लिखकर कहा कि वह जल्द ही मोमेंट और अवॉर्ड कार्यालय भिजवा देंगी। उन्होंने कहा, मुझे पता चला है कि पश्चिमबंगा बांग्ला अकैडमी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अवॉर्ड देने जा रही है। ऐसा करके अकैडमी केवल निंदनीय उदाहरण स्थापित कर रही है और यह ऐसे लोगों की बेइज्जती है जो साहित्य के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। साथ ही उन्होने यह भी लिखा कि यह पुरस्कार उनके लिए "कांटों का ताज" बन गया है। इसलिए वह इसको लौटा रहे है।
इसके अलावा साहित्य अकादमी (पूर्वी क्षेत्र) के जनरल काउंसिल के सदस्य आनंदिरंजन विश्वास ने बंगाली अडवाइजरी बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जो अवॉर्ड दिया गया है वह तीन साल में एक बार दिया जाएगा। यह अवॉर्ड ऐसे शख्स को दिया जाना है जो कि मुख्यतः साहित्य के क्षेत्र से न होते हुए भी सृजन करता है।
वहीं ममता बनर्जी को ये विशेष सम्मान दिए जाने पर बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने इसकी कड़ी आलोचना की । तसलीमा ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर कहा है- 'यदि बदमाश, बेशर्महत्यारा, लुटेरा चोर है तो समझ में आता है लेकिन जब कला और साहित्य की दुनिया में लोग बेशर्म हो जाते हैं, तो उस समाज से कुछ भी उम्मीद नहीं की जा सकती। अच्छा हुआ कि मैं अब उस शहर में नहीं रहती। अगर मैं रहती तो मुझे निराशा होती।'
Kolkata's Bangla Academy has given CM Mamata Banerjee a literature award. Kolkata Art Academy will give her a prize for the best artist. Kolkata's writers, artists and intellectuals are all sold out. Their dignity, honesty and personality are gone for a bit of money and power.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) May 10, 2022
शिक्षा मंत्री ब्रत्य बासु ने सोमवार को ऐलान किया था कि मुख्यमंत्री की रचना कोबिता बितान के लिए उन्हें अवॉर्ड दिया जाएगा। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इस फैसले का विरोध शुरू हो गया था। बता दें कि शिक्षा मंत्री ही पश्चिमबंग बांग्ला अकैडमी के अध्यक्ष हैं। पुरस्कार वितरण के दौरान ममता बनर्जी मंच पर मौजूद थीं लेकिन उन्होंने खुद इस अवॉर्ड को नहीं लिया। बसु ने ममता बनर्जी की जगह इसे स्वीकार किया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ही संस्कृति मंत्रालय की हेड हैं।
Shipra Saini
News Anchor