अखिलेश के दिए गए बयान को गैरजिम्मेदार और नादानीभरा बयान बता बरसे शिवपाल

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के बीच यह तो तय है कि चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव एक साथ नहीं रहेंगे। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवपाल सपा को छोड़ते हैं या अखिलेश उन्हें पार्टी विधानमंडल दल से निकालते हैं।
बता दे, अखिलेश यादव ने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ''बीजेपी हमारे चाचा को लेना चाहती है तो देर क्यों कर रही है। चाचा को जल्दी से पार्टी में ले ले। बीजेपी के नेता चाचा को लेने में इतना विचार क्यों कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि मुझे चाचा से कोई नाराजगी नहीं है लेकिन बीजेपी ये बताए कि चाचा को लेकर वो इतनी खुश क्यों है।
वहीं बाद में शिवपाल यादव जब मिडिया से मुख़ातिब हुए तब अखिलेश पर पलटवार करते हुए कहा कि सपा के 111 विधायक हैं। उनमें से एक वे भी हैं। यदि समाजवादी पार्टी उन्हें बीजेपी में भेजना चाहती है तो निकाल क्यों नहीं देती। इससे पहले भी जब अखिलेश ने कहा था कि जो बीजेपी से मिल गया है वह सपा में नहीं रह सकता तो शिवपाल ने कहा था कि यदि अखिलेश को ऐसा लगता है तो वह तुरंत उन्हें निकाल दें।
उनका(अखिलेश यादव) यह नादानी वाला बयान है। अगर उन्हें हमें भाजपा में भेजना है तो उन्हें हमें निकाल देना चाहिए। कोई बात होगी तो उचित समय पर आप सभी को अवगत करा देंगे: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान कि शिवपाल यादव को भाजपा में चले जाना चाहिए पर सपा विधायक शिवपाल यादव, इटावा pic.twitter.com/hEWEae38nm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 27, 2022
अहम बात यह है कि अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच दूरी काफी लंबे समय से है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब अखिलेश यादव ने अपने नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक बुलाई तो उन्होंने चाचा शिवपाल यादव को नहीं बुलाया। चुनाव से पहले शिवपाल यादव अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए 100 सीटें चाहते थे लेकिन अखिलेश ने उन्हें सिर्फ एक सीट देने का फैसला किया और वह शिवपाल यादव को दी गई। शिवपाल यादव जसवंत नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और वो भी सपा के चुनाव चिन्ह पर। ऐसे में जब सपा विधायकों की बैठक हुई और उमसे अखिलेश ने उन्हें नहीं बुलाया तो शिवपाल यादव की नाराजगी बढ़ गई और इसके बाद उन्होंने योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की और बाद में जेल जाकर आजम खान से भी मुलाकात की।