राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चाओं पर गहलोत का बयान, कहा- "मेरा इस्तीफा 1998 से सोनिया गांधी के पास है"

एक साल बाद राजस्थान विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. राजनीतिक हलचल अभी से काफी तेज देखने को मिल रही है. कांग्रेस के अंदर भी गुटबाजी का दौर जारी है. अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एक बयान ने राजस्थान में सियासी हलचल को बढ़ा दी है.
मीडिया से बात करते हुए गहलोत ने कहा है कि मेरा तो परमानेंट इस्तीफा सोनिया गांधी के पास रखा है. अब इस एक बयान ने अटकलों के बाजार को गर्म कर दिया है. इस बयान के ज्यादा मायने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं क्योंकि हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सचिन पायलट से मुलाकात हो चुकी है.
वहीं इस बात पर भी चर्चा शुरू हो गई कि हो सकता है कि अशोक गहलोत, प्रशांत किशोर के प्लान के तहत ग़ैर गांधी परिवार के कांग्रेस अध्यक्ष बने या चुनाव संचालन का ज़िम्मा संभालने वाले उपाध्यक्ष बन जाएं. ऐसा होने पर सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है.
आपको बता दे, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दिल्ली में सचिन पायलट के सोनिया गांधी से मिलने के दो दिन बाद बड़ा बयान दिया है। सीएम गहलोत ने कहा कि मेरा इस्तीफा तो परमानेंट सोनिया गांधी के पास में है। जब मुख्यमंत्री बदलना होगा तो किसी को कानो-कान खबर तक नहीं लगेगी। यह काम रातो-रात हो जाएगा। इस पर कोई चर्चा और चिंतन नहीं होगा। सीएम गहलोत ने कहाकि सोनिया गांधी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। मैं आप लोगों से आग्रह करूंगा कि अफवाहों पर ध्यान न दें।
वैसे राजस्थान की राजनीति में नेतृत्व परिवर्तन जोर पकड़ रखा है. पायलट गुट के नेता लगातार ऐसे दावे भी कर रहे हैं. गुरुवार को सचिन पायलट ने भी कहा था कि वास्तव में हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं. उस चर्चा में सब कुछ शामिल है. क्या करें, क्या न करें. अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी. उन्होंने कहा कि हम जैसे लोग जो जमीन पर काम कर रहे हैं, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उचित फीडबैक दें. इसके अलावा सचिन पालयट ने ये भी बताया था कि 2023 में राजस्थान में फिर कांग्रेस की सरकार बने, इस पर सोनिया गांधी के साथ मंथन हुआ.
लेकिन उस मुलाकात के बाद अब अशोक गहलोत ने इस्तीफे वाली अफवाह पर विराम लगाने का काम किया है. जोर देकर कहा गया है कि जब सीएम बदलना होगा तो किसी को कानों कान खबर तक नहीं होगी. यह काम रातोरात हो जाएगा.
यहां पर ये भी जानना जरूर हो जाता है कि राजस्थान में प्रशासनिक असफलता की वजह से करौली और अलवर की घटना के बाद राज्य में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बदले जाने के क़यास ज़ोर पकड़ रहे थे. इन दोनों जगहों पर सरकार की प्रशासनिक लापरवाही से बीजेपी को बड़ा मुद्दा मिल गया.