सिंधु जल विवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान की वियना में हुई बैठक, हुआ अहम फैसला

भारत और पकिस्तान ने लम्बे समय से चले आ रहे ‘सिंधु जल विवाद’ पर एक तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही की बैठक में भाग लिया है। यह बैठक 20 और 21 सितंबर 2023 को वियना में हुई। जिसका नेतृत्व, जल संसाधन विभाग के सचिव के एक प्रतिनिधिमंडल ने किया। स्थायी मध्यस्थता न्यायालय में किशनगंगा और रतले मामले में भाग लिया, जिसमें वकील के तौर पर, हरीश साल्वे केसी मौजूद थे इस मामले में भारत के लीड काउंसिल की हैसियत से वह अपनी भूमिका निभा रहे थे।
Meeting of Neutral Expert proceedings on the Indus Waters Treaty:https://t.co/Tczs8jvC04 pic.twitter.com/MKLrUage84
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) September 21, 2023
बता दें कि यह बैठक सिंधु जल संधि को ध्यान में रखते हुए की गई। भारत के अनुरोध पर नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ द्वारा यह बैठक बुलाई गई थी और इसमें भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक में किशनगंगा और रतले पनबिजली परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।
भारत-कनाडा विवाद में पाकिस्तान की भी एंट्री हो गयी है, देश में चुनाव होने के कारण पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवर-उल-हक काकर ने इस प्रकरण को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा से जोड़ा। यूएन कॉउन्सिल में हिस्सा लेने के दौरान न्यूयॉर्क में काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स में काकर ने कहा, हिंदुत्व के ये विचारक लगातार प्रोत्साहित होते जा रहे हैं। उन्होंने, कनाडा की धरती पर निज्जर की हत्या को भी दुखद बताया।
विदेश मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि इस बैठक में भारत की भागीदारी राष्ट्र के सुसंगत और सैद्धांतिक रुख के अनुरूप है इसलिए सिंधु जल संधि के तहत तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही ही इस समय एक मात्र कार्यवाही है। यही कारण है कि भारत ने किशनगंगा और रतले एचईपी से संबंधित मुद्दों पर अवैध रूप से गठित मध्यस्थता न्यायालय द्वारा की जा रही समानांतर कार्यवाही में भाग नहीं लेने का संधि-सम्मत निर्णय लिया है। बहराल तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही जारी है और कुछ समय तक जारी रहने की उम्मीद है।
क्या है सिंधु जल समझौता
सिंधु जल समझौता तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। लगभग 62 साल पहले हुई सिंधु जल संधि (IWT) के तहत भारत को सिंधु तथा उसकी सहायक नदियों से 19.5 प्रतिशत पानी मिलता है। जबकि पाकिस्तान को लगभग 80 प्रतिशत पानी मिलता है। भारत अपने हिस्से में से भी लगभग 90 प्रतिशत पानी ही उपयोग करता है। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को छह नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की वार्षिक बैठक होना अनिवार्य है। सिंधु जल संधि को लेकर पिछली बैठक 30-31 मई 2022 को नई दिल्ली में हुई थी। इस बैठक को दोनों देशों ने सौहार्दपूर्ण बताया था।