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गेहूं के बाद आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर मोदी सरकार ने लगाई पाबंदी

गेहूं के बाद आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर मोदी सरकार ने लगाई पाबंदी
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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब गेहूं के आटे, मैदा और सूजी के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इन जिंसों के निर्यातकों को अब 12 जुलाई से गेहूं के निर्यात पर अंतर-मंत्रालयी समिति की मंजूरी की जरूरत होगी. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना में कहा कि गेहूं के आटे की निर्यात नीति मुक्त है, लेकिन इसका निर्यात, गेहूं निर्यात मामले पर बनी अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिश के अधीन होगा. नया अनुमोदन ढांचा गेहूं के आटे, मैदा, सूजी, साबुत आटे इत्यादि पर लागू होगा. अधिसूचना के अनुसार, गेहूं के आटे की गुणवत्ता के संबंध में आवश्यक तौर-तरीके अलग से अधिसूचित किए जाएंगे.

बता दे, इस अधिसूचना के तहत बदलाव की व्यवस्था के संबंध में विदेश व्यापार नीति के प्रावधान लागू नहीं होंगे. वर्ष 2021-22 में भारत ने 24 करोड़ 65.7 लाख डॉलर के गेहूं के आटे का निर्यात किया था. मई में भारत ने भीषण गर्मी से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच कीमतों में तेजी पर अंकुश के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से वैश्विक गेहूं की कीमतें दोगुनी हो गई हैं, क्योंकि कई आयातकों को भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. विश्व बैंक ने 5 जुलाई को कहा था कि यूक्रेन में युद्ध, आपूर्ति-श्रृंखला में व्यवधान और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक विकास के नतीजे एकदम उलट रहे हैं. वहीं खाद्य कीमतें सर्वकालीक उच्च स्तर पर पहुंचने की तरफ बढ़ रही हैं.

रूस और यूक्रेन गेहूं के बड़े निर्यातक हैं. कई देश खाद्यान्न के लिए यहां के आयातित अनाज पर निर्भर हैं. लड़ाई के कारण सप्लाई चेन प्रभावित हो गई है. रूस और यूक्रेन से गेहूं मंगाने वाले देश अब नए विकल्प की तलाश कर रहे हैं. भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर है पर निर्यात के मामले में पीछे है. यहां उत्पादन का बड़ा हिस्सा घरेलू जरूरतों में इस्तेमाल हो जाता है. लेकिन पिछले वित्त वर्ष में भारत ने गेहूं का रिकॉर्ड निर्यात किया था.

Rani Gupta

Rani Gupta

News Reporter


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