संबित पात्रा न्यूज़ क्लिक मीडिया हाउस नहीं 1 गैंग देश को नीचा दिखाना
देश में एक ऐसा सरगना है, एक ऐसा गैंग है जो देश को ही नीचे दिखाने के लिए लगातार काम कर रहा है, ये एक तरह की अंतरराष्ट्रीय साजिश है

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज रविवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और अपने आप को एक मीडिया संस्थान कहने वाले एक कथित एवं फर्जी न्यूज पोर्टल 'Newsclick' के काले कारनामों को मीडिया के सामने उजागर किया।
ED in its money laundering probe against media portal 'Newsclick' alleged that the company laundered funds up to Rs 9.59 crores in FDI "at artificially enhanced prices" in violation of the Foreign Direct Investment norms for the news media outlets: Sources (1/2) https://t.co/cEvrTQ6HhG
— ANI (@ANI) July 18, 2021
Newsclick received funds from businessman of #SriLankan - #Cuban descent to build pro-Beijing narrative
प्रेस कांफ्रेंस के मुख्य अंश:
देश में एक ऐसा सरगना है, एक ऐसा गैंग है जो देश को ही नीचे दिखाने के लिए लगातार काम कर रहा है, ये एक तरह की अंतरराष्ट्रीय साजिश है। आज समाचार पत्रों में 'न्यूज क्लिक' पोर्टल से संबंधित एक खबर सामने आई है जिससे पता चलता है कि किस तरह इस पोर्टल के माध्यम से करोड़ों रुपये विदेशों से संदिग्ध रूप से हिंदुस्तान में आए हैं जिसका एक ही मकसद है कि हिंदुस्तान की सरकार को फेल बताना और विदेश की कुछ ताकतों का एजेंडा चलाना।
आज ये जो 'न्यूज क्लिक' के बारे में तथ्य सामने आये हैं, इससे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है कि कथित रूप से भारत के खिलाफ 'टूलकिट' केवल हिंदुस्तान के कुछ राजनीतिक दल चला रहे हैं, ऐसा नहीं है, बल्कि भारत के बाहर भी एक ऐसी साजिश हो रही है, जो इस टूलकिट का हिस्सा है।
आज मीडिया में यह खुलासा हुआ है कि किस तरह 'PPK Newsclick Studio Pvt Ltd' को कई बाहरी ताकतों से संदेहास्पद फंडिंग मिली है और इस फंड का देश के खिलाफ साजिश में किस तरह उपयोग हो रहा है। कई ऐसे संस्थानों और कंपनियों से इस पोर्टल को फंडिंग मिली हैं जिनके पते भी एकसमान ही हैं। फंडिंग चीन और अफ्रीका का भी कनेक्शन सामने आया है।
न्यूज क्लिक की स्वामित्व वाली कंपनी PPK Newsclick Studio Pvt Ltd ने 9.59 करोड़ रुपये के एफडीआई को स्वीकार किया जिसे मुख्य रूप से तीन विदेशियों से प्राप्त किया गया। साथ ही इस कंपनी ने लगभग 30 करोड़ रुपये इन्होंने विदेशों की अलग-अलग एजेंसियों से प्राप्त किया। ये सभी ट्रांजेक्शन जांच के दायरे में है जिसकी प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रही है।
जिन लोगों के माध्यम से 'न्यूज क्लिक' को एफडीआई प्राप्त हुए, उनमें से एक नेविले रॉय सिंघम नाम के बिजनेसमैन हैं जो श्रीलंकाई-क्यूबाई मूल के हैं जिनका दायरा संदिग्ध रहा है। जांच में ये गंभीर खुलासा हुआ कि जो रकम 'Newsclick' को मिली, उसमें से लगभग 21 लाख भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी गौतम नवलखा को भी दी गई। सीपीएम के सदस्य बाप्पादित्य सिन्हा को भी लगभग 52 लाख रुपये की रकम दी जो कई वामपंथी नेताओं के ट्विटर हैंडल देखते हैं। इतना ही नहीं इस फंड में से एक 9वीं पास इलेक्ट्रीशियन जोसेफ राज को भी डेढ़ करोड़ की रकम दी गई।
Newsclick के बारे में हुए खुलासे से साफ हो गया है कि इस वेब पोर्टल के कर्ता धर्ता विदेशी शक्तियों के हाथों बिके हुए हैं। विदेश से मिली करोड़ों की रकम से एक 9वीं पास इलेक्ट्रीशियन जोसेफ राज को डेढ़ करोड़ की रकम क्यों दी गई? जांच में पता चला कि है कि रकम को अमेरिका के Justice and Education fund Inc, GSPAN LLC और Tricontinental Ltd Inc USA नाम की कंपनियों से हासिल किया गया। ये सारी कंपनियां एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं।
खुलासे से साफ पता चलता है कि मोदी सरकार को बदनाम करने के अलावा Newsclick के प्रमोटर देशविरोधी गतिविधि में भी शामिल हैं।
Newsclick एक साधारण न्यूज वेब पोर्टल है जिसकी शेयर वैल्यू 10 रुपये प्रति शेयर से अधिक नहीं होनी चाहिए थी लेकिन इसे इन्फ्लेट करके इसके एक शेयर का वैल्यू 11,510 रुपये दिखाई। जांच में एक और दिलचस्प खुलासा हुआ है कि ज्यादातर रकम को PPK Newsclick Studio Pvt Ltd के ही एक अन्य पोर्टल के मेंटिनेंस के एवज में मिला और इसे सर्विस एक्सपोर्ट का नाम दिया गया। पूछताछ में आरोपी कोई जवाब नहीं दे पाए। आखिर ये कैसे हो सकता है?
हिंदुस्तान में कई ऐसे नेता और मीडिया की चादर ओढ़कर पोर्टल चलाने वाले कुछ एक्टिविस्ट हैं जो चाहते हैं कि भारत में डर और अराजकता का माहौल बना रहे। विदेशों से फंडिंग लेकर देश के खिलाफ साजिश में 'Newsclick' द्वारा इस फंड का उपयोग किया गया।
देश में भ्रम फैलाने वालों के लिए एक प्राइस टैग, देश में कन्फ्यूजन फैलाने के लिए एक प्राइस टैग, दूसरे देशों का प्रोपेगैंडा फैलाने के लिए एक प्राइस टैग, हमारी सरकार को नीचा दिखाने के लिए एक प्राइस टैग, असली किसानों के मुद्दे को गौण कर राजनीति करने वालों के लिए एक प्राइस टैग, सीएए पर अराजकता फैलाने के लिए एक प्राइस टैग! जहाँ भी कोई एंटी-इंडिया सेंटिमेंट हो, उसको आगे बढ़ाने के लिए एक प्राइस टैग - ऐसी साजिशों को अमलीजामा पहनाने के लिए एंटी इंडिया फोर्सेज के साथ मिल कर साजिश रची गई।
आखिर में जीतेगा तो भारत ही भले ही देशद्रोही शक्तियां कितना भी षड्यंत्र क्यों न कर ले, कितना भी भ्रम फैलाने की कोशिश क्यों न कर ले, विदेशी फंडिंग लेकर कितना ही प्रोपेगैंडा क्यों न कर ले। मीडिया की चादर ओढ़कर पोर्टल चलाने वाले कुछ एक्टिविस्ट हैं, जिनके साथ कुछ विदेशी ताकतें हैं और भारत के कुछ मेन स्ट्रीम के राजनेता भी हैं। इनका एक ग्रुप बना है। ये पूरे सामंजस्य के साथ ये काम करते हैं। इनका मकसद होता है देश में भ्रम, अराजकता फैलाना।
पूरे विश्व में हमारी वैक्सीन नीति को लेकर सराहना की गई, वैक्सीन मैत्री को लेकर सराहना की गई। हमारे देश और हमारी वैक्सीन नीति को बदनाम किया जाए, यह कुचेष्टा कुछ लोगों ने, कुछ संस्थाओं ने और कुछ पोर्टल्स ने की है। ये विदेशी फंडिंग के माध्यम से हो रहा था। किसान आंदोलन और सीएए में भी देश के खिलाफ साजिश रची गई।
देश में एक ऐसा सरगना है, एक ऐसा गैंग है जो देश को ही नीचे दिखाने के लिए लगातार काम कर रहा है, ये एक तरह की अंतरराष्ट्रीय साजिश है