यूक्रेन में भारतीयों के लिए तिरंगा बना सुरक्षा कवच, UNSC में रुस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर भारत ने बनाई दूरी, रूस ने किया वीटो

Update: 2022-02-26 07:05 GMT

युक्रेन और रुस के बीच छिड़े भयंकर युद्ध के बीच पीएम नरेन्द्र मोदी और रुस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की बातचीत का बड़ा असर हुआ है। युक्रेन से भारतीयों की वतन वापसी शुरु हो चुकी है। तस्वीरें बता रही है कि इस जंग के बीच जहां यूक्रेन और यूक्रेन में रहने तमाम नागरिको के लिए जान बचाना मुश्किल हो रहा है तो वहीं भारतीयो के लिए यूक्रेन में तिरंगा उनका सुरक्षा कवच बन बना है।

बड़ी तादाद में युक्रेन में फंसे मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रो के लिए भारतीय एम्बेसी ने जो एडवाइजरी जारी की है। उसमें साफ-साफ लिखा है कि निकासी अभियान के लिए आवाजाही करते समय अपने वाहन पर भारतीय झंडा लगाएं और इंडिया लिखें ताकि उनकी पहचान सुनिश्चित हो सके। यह निर्देश खासतौर पर कॉन्फ्लिक्ट ज़ोन के लिए दिए गए हैं। भारतीयों की वतन वापसी को लेकर शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा से फोन पर बात की थी। 


हालाकि रुस और युक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बीच दुनिया के बड़े देशो की निगाहे इस बात पर टिकी है कि भारत का रुख क्या होगा अभी तक भारत का रुख न्युटरल रहा है। और बातचीत के जरिये इस मसले का समाधान निकालने की बात पीएम मोदी की ओर से कही गई है। और अब यूक्रेन मसले पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत, चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने वोटिंग करने से परहेज किया है। हालांकि 11 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया था लेकिन रूस ने इस प्रस्ताव पर वीटो कर दिया था। भारत और चीन दोनों से वोट करने से दूरी बनाई है लेकिन दोनों देशों ने वोट न करने के पीछे अलग-अलग वजह बताई है। दोनों देशों ने संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए यूक्रेन का समर्थन किया है हालांकि चीन रूस कार्रवाई का बचाव करता नजर आया है। 

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, "भारत यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से बेहद परेशान है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए सभी प्रयास किए जाएं। मानव जीवन की कीमत पर कोई समाधान कभी नहीं निकाला जा सकता है," उन्होंने कहा, "यह खेद की बात है कि कूटनीति का रास्ता छोड़ दिया गया। हमें इस पर वापस लौटना चाहिए। इन सभी कारणों से भारत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से दूरी बनाए रखने का विकल्प चुना है।"

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