भबानीपुर में जीत का सपना देख रही ममता को झटका, ममता के गढ़ में क्यों घट रहा ममता का वर्चस्व ?

Shock to Mamta, who is dreaming of victory in Bhabanipur

Update: 2021-09-29 12:11 GMT

भबानीपुर में जीत का सपना देख रही ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है क्योकि यू तो भवानीपुर ममता बनर्जी का गढ़ कहलाता है लेकिन अब जो समीकरण लगातार इस सीट पर बदलते दिख रहे हैं उसने ममता बनर्जी के होश उड़ा दिए हैं, जी हां अगर ममता के 2011 से लेकर 2021 के सफर की बात की जाए तो ममता का वर्चस्व लगातर घटा है और बीजेपी को हर छोटे बड़े चुनाव में बढ़त मिली है, पिछले दो विधानसभा चुनावों के चुनावी समीकरण की बात करें तो ममता का वर्चस्व यहां धीरे धीरे खत्म हुआ है और यही कारण रहा कि ममता बनर्जी को भवानीपुर सीट छोड़कर नंदीग्राम में अपना भविष्य आजमाना पड़ा।

2011 में ममता सरकार ने पहली बार 34 साल पुराने लेफ्ट का किला ढहाया और सरकार बनाई और उस साल ममता बनर्जी ने भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ा था और वो करीब 54 हजार वोटों के मार्जन से जीती थीं जबकि बीजेपी को इस सीट पर महज 5078 वोट मिले थे वहीं अगर 2016 की बात की जाए तो 2016 में भी ममता ने इसी सीट से चुनाव लड़ा जीत हासिल जरूर की लेकिन वोट प्रतिशत कम रहा उस चुनाव में ममता बनर्जी की जीत का मार्जिन 54 हजार से घटकर 25 हजार पर आ गया था और 29 हजार वोटों का नुकसान ममता को उठाना पड़ा था जबकि बीजेपी ने यहां से बढ़त बनाई और 2014 की मोदी लहर में यह आंकड़ा बढ़कर 47 हजार को क्रॉस कर गया।

इसके बाद 2015 में कोलकाता नगर निगम चुनाव में तो भवानीपुर का वॉर्ड नंबर 70 BJPने जीत ही लिया था। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में TMC ने भले ही भवानीपुर से महज 3168 वोटों की लीड ली हो लेकिन बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया था जिसका नतीजा ये रहा कि 2021 में ममता ने हार के डर से अपनी परंपरागत सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ना पड़ा जिसका खामियाजा भी ममता को भुगतना पड़ा और भवानीपुर सीट पर 2021 के विधानसभा चुनाव में TMC के शोभनदेब चट्‌टोपाध्याय ने 28 हजार वोटों के मार्जिन से चुनाव जीता जो कि 2016 के वोट प्रतिशत से बहुत ज्यादा नहीं था तो वहीं ममता नंदीग्राम से चुनाव लड़ी थीं और BJP के शुभेंदु अधिकारी से 1956 वोटों से हारी थीं।

वहीं अब अगर भवानीपुर सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो दक्षिण इलाके की इस सीट पर 40 फिसदी वोट गैर बंगाली है जिसमें गुजराती, सिख, बिहारी, मारवाड़ी समाज के लोग शामिल हैं तो वहीं 20 फिसदी आबादी मुसलमानों की है जबकि बाकी 40 फिसदी बंगालियों की है जिस वजह से इस सीट को मिनी इंडिया भी कहा जाता है ।

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