सपा के बागी नेता बिगाड़ेंगे अखिलेश यादव का चुनावी गणित, पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ बागियों ने ठोंकी ताल

Update: 2022-02-22 06:49 GMT

उत्तर प्रदेश में चौथे चरण के मतदान से पहले समाजवादी पार्टी की मुश्किले बढ सकती है। क्योकि चौथे चरण से लेकर सातवें चरण के चुनाव में बागियों का सबसे अधिक सामना सपा को ही करना पड़ रहा है। दरअसल पार्टी में लंबे वक्त से काम कर रहे इन नेताओ के बड़े अरमान थे कि पार्टी में लंबे संघर्ष और काम के बाद उन्हे पार्टी का टिकट मिलेगा। पर गठबंधन की सियासत ने खेल बिगाड़ दिया। हालात कुछ ऐसे बने कि पहले के दावेदार नकार दिए गए और बाहर से आए लोग उम्मीदवार बन गए। कुछ ऐसे जुगाड़ लगाने में कामयाब रहे कि वह रातों-रात प्रत्याशी हो गए।

ऐसे में अब जिन नेताओ को टिकट कटा है वो नेता लगातार तीखे तेवर में दिखाई दे रहे है। समाजवादी पार्टी के कई नेता बसपा और बीजेपी में शामिल हो गए है तो कई नेता निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। जिसपर बीजेपी, सपा को घेरती हुई नजर आ रही है। 

बता दें कि अयोध्या की रुदौली सीट पर पूर्व विधायक अब्बास अली रुश्दी मियां सपा से इस्तीफा देकर बीएसपी के टिकट पर मैदान में हैं। वे सपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं। अनूप सिंह बागी होकर बीकापुर के अखाड़े में निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं। वो भी सपा के लिए चुनौती खड़ी करते दिख रहे हैं। वहीं टांडा में शबाना खातून, मड़ियाहूं सीट पर पूर्व विधायक श्रद्धा यादव, श्रावस्ती सीट पर पूर्व विधायक मोहम्मद रमजान और फाजिल नगर सीट पर सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष इलियास अंसारी बीएसपी उम्मीदवार के तौर पर मैदान में आ चुके हैं।

खुलेआम बगावत करने वालों के अलावा सपा में ऐसे भितरघातियों की भी बहुत बडी तादाद है, जो पार्टी में उपेक्षा की वजह से आहत हैं और इस बार भी टिकट पाने से वंचित रह गए हैं। इनमें बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो करीब 25-30 साल से पार्टी के प्रति निष्ठा से काम करते रहे और जब बारी आई तो पार्टी ने या तो वो सीट सहयोगी दल को दे दी या दूसरे दलों से आए लोगों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतार दिया।

अब यह तो तय है कि ऐसे लोग भी सपा के ज्यादातर प्रत्याशियो के लिए चुनौती बन सकते हैं। हालांकि सपा के सहयोगी दल आरएलडी और एसबीएसपी इन सीट पर जीत का दावा कर रहे हैं।


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