अखिलेश यादव ने EVM बदलने वाले वायरल ऑडियो को लेकर किया ट्वीट, अखिलेश यादव के ट्वीट पर DM चंदौली संजीव सिंह ने दी प्रतिक्रिया

अखिलेश यादव ने EVM बदलने वाले वायरल ऑडियो को लेकर किया ट्वीट, अखिलेश यादव के ट्वीट पर DM चंदौली संजीव सिंह ने दी प्रतिक्रिया

Update: 2022-03-13 11:32 GMT

उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव खत्म हो चुके है और बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ जीत भी गई है लेकिन अब भी विपक्ष के सिर पर EVM का भूत सवार है और वो लगातार EVM को दोष दे रहे। ऐसे में सोशल मीडिया पर एक ऑडियो बड़ी तेज़ी से वायरल हुआ जिसमे सदर कोतवाली के फत्ते प्रतापपुर कला मझवार गांव स्थित बाबू तूफानी सिंह निजी महाविद्यालय में कार्यरत एक शिक्षक का जिक्र है. जो गाजीपर में चुनाव की ड्यूटी करने के लिए गया था. ऑडियो में शिक्षक व पीठासीन अधिकारी EVM मशीन को लेकर आपस मे बदली करने की बात कर रहे हैं और इसी वायरल हो रही ऑडियो को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने टवीट कर लिखा EVM बदले जाने को लेकर एक चुनाव अधिकारी की किसी से बात की जो ऑडियो रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर चल रही है, मा. उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति महोदय उसका संज्ञान लें व सरकार संबंधित व्यक्ति को तुरंत संपूर्ण सुरक्षा दे। किसी एक व्यक्ति का जीवन हमारे लिए सरकार बनाने से ज़्यादा अहम है।

बता दे की अखिलेश यादव के इस ट्वीट पर चंदौली के डीएम ने अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा की मैंने ऑडियो क्लिप ध्यान से सुनी है Presiding Officer's Handbook P 134)के मुताबिक PO का कर्तव्य है कि मतदान के बाद वह सभी पोलिंग एजेंट को सील पर साइन करने का मौका दें व EVM सुरक्षा पूर्वक स्ट्रांग रूम में जाए। यदि यह हुआ था तो अब सेक्टर मजिस्ट्रेट पर EVM बदलने का आरोप अब कैसे लगाया जा रहा है?EVM के फर्स्ट लेवल चेक से कमिश्निंग तक सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों को आमंत्रित किया जाता है।सबको पता रहता है कौन सी EVM किस बूथ में गई काउंटिंग से पहले काउंटिंग एजेंट से चेक करवाया जाता है जैसा मैंने पहले भी कहा है यदि राजनीतिक दल व उम्मीदवार हर स्तर पर सजग रहें तो किसी प्रकार की धांधली हो ही नहीं सकती,फर्स्ट लेवल चेक से चुनाव विशेष के लिए मशीनों की तैयारी से मॉक पोल से मतदान से सीलिंग से डिपॉजिट से स्ट्रांग रूम की सुरक्षा से मशीन के मूवमेंट से वास्तविक मतगणना तक। यदि किसी स्तर पर कोई भी विसंगति पाई जाए तो तत्काल आपत्ति दर्ज करनी चाहिए। अगर 99.9% बैटरी लेवल संदेह उत्पन्न करता था, तो तुरंत सीरियल नंबर चेक करने चाहिए थे। फैसला आने के बाद नहीं। महत्वपूर्ण चरणों पर उदासीनता नहीं होनी चाहिए 


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