अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मोदी सरकार की योजना की तारीफ,पाकिस्तान के फंड पर लगाई रोक

Update: 2022-04-06 12:10 GMT

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मोदी सरकार की योजना की तारीफ की है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की सराहना करते हुए आईएमएफ ने कहा है कि कोरोना में गरीबी नहीं बढ़ी।आईएमएफ के एक नए पेपर में पाया गया कि 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी (पीपीपी 1.9 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रति दिन) एक प्रतिशत से कम है। यह 2020 के दौरान भी उस स्तर पर बनी रही।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी सरकार की खाद्य सुरक्षा योजना यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की सराहना की है। आईएमएफ ने कहा है कि कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार की इस योजना ने अत्यधिक गरीबी में बढोतरी नही होने दी।

आईएमएफ के एक नए पेपर में ये जानकारी मिली है कि 2019 में भारत में सबसे ज्यादा गरीबी  (पीपीपी 1.9 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रति दिन) एक प्रतिशत से कम है। यह 2020 के दौरान भी उस स्तर पर बनी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाद्य सुरक्षा योजना यानी प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण रही है।

आपको बता दें कि आईएमएफ की इस नई रिपोर्ट में पहली बार गरीबी और असमानता पर खाद्य सब्सिडी का प्रभाव शामिल है। महामारी से पहले का साल यानी 2019 में अत्यधिक गरीबी 0.8 प्रतिशत जितनी कम थी। गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा यह सुनिश्चित करने में सहायक थे कि यह महामारी वाले साल यानी 2020 में उस निम्न स्तर पर बना रहे। लगातार दो सालो में अत्यधिक गरीबी का निम्न स्तर को अत्यधिक गरीबी का उन्मूलन माना जा सकता है। 

आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने के लिए महत्वपूर्ण था। यह गरीबों पर COVID-19 के कारण कम हुई आय के झटके को कम करने के माम ले में काफी हद तक काम किया।

बता दें कि देश में कोविड महामारी के दौरान मार्च २०२० में इस योजना की शुरुआत की गई थी। इसे पिछले साल नवंबर में मार्च 2022 तक चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। जिसके बाद पीएम मोदी ने सितंबर 2022 तक पीएमजीकेएवाई के विस्तार की घोषणा की है। पीएमजीकेएवाई के तहत जरूरतमंद लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के तहत प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त उपलब्ध कराया जाता है। 

वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद संवैधानिक संकट तो गहराया ही था अब आर्थिक मोर्चे पर भी परेशानी मुंह बाए खड़ी दिख रही है। आईएमएफ (IMF) ने पाकिस्तान को दी जाने वाली फंडिंग को राजनीतिक अस्थिरता खत्म होने तक रोक दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा फंड रोके जाने से पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर कई प्रकार की दुश्वारियों का सामना करना पड़ सकता है।

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