कृषि कानून रद्द होने से बौखलाए राहुल गांधी कहा- घमंड में मोदी सरकार मारे गये किसानों को मुआवजा नहीं देना चाहती

Update: 2021-12-03 12:26 GMT

कृषि कानूनो के रद्द होने के बाद अब एजेंडाधारियो ने एक नई मांग सरकार के सामने रख दी है। मृतक किसानो के परिवार वालो के लिए मुआवजे की मांग कर रहे है। जिसको लेकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि मृतक किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए उन्हें आर्थिक सहायता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। 

जिसके बाद आंदोलनजीवियो के साथ - साथ विपक्ष भी भड़क गया है। और अब कांग्रेस को राजनीतिक एजेंडा मिल गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा है कि  कुछ दिन पहले सदन में एक सवाल पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार 700 मृतक किसानों (किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत) को मुआवज़ा देगी या नहीं? इसका जवाब मिला कि उनके पास किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं था। 


राहुल गांधी जवाब दे रहे है कि पंजाब सरकार के पास 403 नाम है उनको हमने 5 लाख रु.का मुआवज़ा दिया है,152 लोगों को हमने नौकरी दी है और बाकी लोगों को भी देंगे। हमारे पास 700 में से 500 नाम है जो लिस्ट हमने सरकार को दी। बाकी नाम हमारे पास पब्लिक रिकॉर्ड से हैं उसकी जांच कर सरकार 700 लोगों को मुआवज़ा दें। कांग्रेस नेता ने कहा कि कोरोना में कितने लोग मरे और किसान कितने मरे सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसका कारण ये हैं कि आप इन लोगों को मुआवज़ा नहीं देना चाहतें। जब ये शहीद हुए आपने सदन में 2 मिनट का मौन व्रत नहीं किया। अगर वो चाहते हैं तो हमारी लिस्ट लें और 700 लोगों को मुआवज़ा दें। 


केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने को कृषि कानूनों के विरोध के दौरान किसानों की मौत पर उनके परिजनों को मुआवजा देने इनकार किया है। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में तोमर ने कहा कि कृषि मंत्रालय के पास मृतक किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए उन्हें आर्थिक सहायता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। लोकसभा में केंद्र सरकार से सवाल किया गया था कि मृतक किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता दिए जाने का कोई प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है या नहीं? इस पर केंद्र की ओर से कृषि मंत्री ने संसद में जवाब दिया।

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