राकेश टिकैत एंड गैंग के खिलाफ SC का फूटा गुस्सा, कोर्ट ने पूछा लखीमपुर हिंसा की जिम्मेदारी लेगे आंदोलनजीवि ?

Update: 2021-10-04 08:46 GMT

देश में नए कृषि कानूनो के विरोध के नाम पर हो रही अराजकता और गुंडागर्दी को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने भी राकेश टिकैत एंड गैंग को कड़ी फटकार लगाई है। किसान महापंचायत संगठन की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है। अदालत ने आगे कहा कि कानून तो अपना काम करेगा। अदालत ने नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी दावा तो करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण हैं, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

 दरअसल, किसानों के एक समूह 'किसान महापंचायत' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दिल्ली के जंतर-मंतर पर 'सत्याग्रह' की इजाजत मांगी है थी। और उन्हे हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। एक बार फिर जब सुनवाई हुई तो कोर्ट में 'किसान महापंचायत' अधिवक्ता अजय चौधरी कहा कि उन्‍होंने किसी सड़क को ब्‍लॉक नहीं कर रखा है। इसपर बेंच ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्‍या मतलब है? जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा‍ कि कानून पर रोक लगी है, सरकार ने आश्‍वासन दिया है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?


जब अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्‍या तुक है तो वकील ने कहा कि केंद्र ने एक कानून लागू किया है। इसपर बेंच ने तल्‍ख लहजे में कहा कि 'तो आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते कि कानून को चुनौती भी दे दें और फिर प्रदर्शन भी करें। या तो अदालत आइए या संसद जाइए या फिर सड़क पर जाइए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से सहमति जताते हुए कहा कि जब तक कृषि कानूनों की वैधता तय नहीं हो जाती, तब तक विरोध जारी नहीं रह सकता।


बात दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की बेंच ने किसान महापंचायत संगठन की ओर से एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी जिसर पर सुनवाई हुई कोर्ट ने साफतौर पर यह कहा कि सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या कानूनों को चुनौती देने के बाद विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जा सकती है ?


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