बंगाल में TMC ने BSF जवानो का किया अपमान, बीजेपी ने BSF से मांगी माफी

Update: 2021-11-18 13:24 GMT

पश्चिम बंगाल में बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढाने से भड़की ममता बनर्जी और उनके नेता अब बीएसएफ के जवानो का अपमान करने से भी बाज नही आ रहे है। टीएमसी विधायक उदयन गुहा ने हाल ही बीएसएफ पर एक शर्मनाक बयान दिया। और उसको लेकर कोई माफी भी टीएमसी की ओर से नही मांगी गई।  लेकिन इसके जवाब में नन्दीग्राम से बीजेपी विधायक सुवेंदु अधिकारी ने बीजेपी के 65 विधायकों के साथ कोलकाता में बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर मुख्यालय का दौरा किया। और टीएमसी विधायक की ओर से बीएसएफ से माफी मांगी।

 विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी न्यूटाउन स्थित बीएसएफ के कैंप में पहुंचें और बीएसएफ जवानों को कमल के फूल व मिठाइयों से भरे बर्तन सौंपकर उनका स्वागत किया। अधिकारी ने कहा कि  "कुछ टीएमसी विधायकों ने विधानसभा में बीएसएफ के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इसलिए हम यहां बीएसएफ अधिकारियों से माफी मांगने और उन्हें राष्ट्रीय सेवा के लिए धन्यवाद देने आए हैं।" 

इस प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के उद्यान गुहा की एक टिप्पणी पर बवाल मच गया। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं सीमा पार करती हैं तो बीएसएफ के जवान तलाशी के नाम पर उन्हें गलत तरीके से छूते हैं। वो कितना भी भारत माता की जय बोल लें, वह देशभक्त नहीं हो सकते।

बीजेपी के मुताबिक इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद बीएसएफ जवानों का सम्मान करना है। बधाई देना है, क्योंकि वे सीमावर्ती क्षेत्रों में कठिन परिस्थितियों से लड़ते हैं, वे देश को बचाने में लगे हैं, लेकिन कुछ लोगों ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाया है।शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "आपने देश की सुरक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है. हमारा एजेंडा बहुत स्पष्ट है. भारत सरकार ने वह सर्कुलर जारी किया है. बीएसएफ की ताकत बढ़ा दी गई है. बंगाल के लिए यह अच्छी खबर है, लेकिन इस मुद्दे को विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया।

वही बंगाल बीजेपी के प्रदेशध्यक्ष रहे दिलीप घोष ने कहा, 'बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ने से किसी को कोई समस्या नहीं है, केवल कुछ ऐसे लोग ही बीएसएफ के खिलाफ बोल रहे हैं जिनका कारोबार खराब हाे रहा है।' 'मैंने बीएसएफ के अधिकारियों से मुलाकात की और समझा कि किसी का अधिकार हनन इसमें नहीं किया गया, केवल कुछ लोग केंद्र का विरोध करने के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। अपने-अपने स्वार्थ के कारण ऐसा किया जा रहा है नहीं तो देश के प्रहरियों का इस तरह अपमान नहीं किया जाता। इसका विरोध करना यानी दाल में कुछ काला है।'

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