वन नेशन-वन इलेक्शन को AAP ने बताया गैर संवैधानिक, कहा - इससे BJP के ऑपरेशन लॉटस को मिलेगा फायदा

Update: 2023-01-24 07:34 GMT

मोदी सरकार के वन नेशन-वन इलेक्शन के प्रस्ताव पर सियासत लगातार जारी है। जहां एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वन नेशन-वन इलेक्शन की कई बार वकालत कर चुके है। लेकिन वहीं विपक्षी पार्टियां इसको लेकर लगातार बीजेपी पर निशाना साध रही है। वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव

अब आम आदमी पार्टी ने वन नेशन - वन इलेक्शन का विरोध किया है। आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता आतिशी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होने बताया कि मोदी सरकार ने 2017 में देश के सामने वन नेशन-वन इलेक्शन का प्रस्ताव रखा। केंद्र सरकार ने लॉ कमीशन के सामने वन नेशन-वन इलेक्शन का प्रस्ताव रखा। 2022 में लॉ कमीशन ने इस पर सभी राजनीतिक दलों से उनकी राय मांगी थी। लेकिन AAP की राय है कि अगर वन नेशन-वन इलेक्शन लागू हो जाए तो लोकतंत्र को भारी झटका लगेगा।

आम आदमी पार्टी ने 12 पेज में अपनी राय रखी लॉ कमीशन के सामने रखी है। जिसकी जानकारी AAP नेता आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये दी उन्होने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन में बहुत सारी खामियां देखने को मिलती हैं। साथ ही उहोंने कहा कि इसके लागू होने से राज्य के मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। AAP ने ONOE पर विरोध जताते हुए कहा कि इस व्यवस्था के लागू होते ही चुनावों से पार्दर्शिता गायब हो जाएगी और चुनावों में धनबल का उपयोग होने लगेगा।

आतिशी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन लागू होने के बाद बहुमत ना होने कि स्थिति में विधायक सीधे अपना मुख्यमंत्री चुन सकते हैं ऐसे में इससे बीजेपी के ऑपरेशन लोटस में फायदा होगा। अपने मंत्री चुनावों के दौरान राज्यों के मुद्दो पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। इन्हीं खामियों की वजह से आम आदमी पार्टी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध करती है। साथ ही आप ने कहा कि केंद्र और राज्य के मुद्दे अलग- अलग होते हैं इसलिए दोनों चुनावों को एक साथ नहीं कराया जा सकता है।

बीजेपी पर निशाना साधते हुए उहोंने कहा कि ऑपरेशन लोटस को कानूनी अधिकार दिलाने के लिए बीजेपी वन नेशन वन इलेक्शन लागू कराना चाहती है। साथ ही AAP ने आरोप लगाया कि बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख करती है।

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