पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले केजरीवाल को लगा बड़ा झटका, चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी ने AAP को हराया, सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद AAP को लगा बड़ा झटका।
पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले चंडीगढ़ में हुए मेयर पद के चुनाव में बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए बडी जीत हासिल की है। चंडीगढ़ के मेयर पद का चुनाव बीजेपी ने जीत लिया है। बीजेपी की सरबजीत कौर 14 मतों के साथ चुनी गई चंडीगढ़ की नई मेयर बनी है। वहीं आम आदमी पार्टी को 13 वोट मिले। क्योकि आम आदमी पार्टी का एक वोट फटा हुआ मिला, जिसे रद्द कर दिया गया। वहीं हार के बाद सदन में हंगामा शुरु हो गया। भाजपा की जीत से नाराज आप पार्षद मेयर की कुर्सी के पास ही धरने पर बैठ गए हैं।
भाजपा की सरबजीत कौर 14 मतों के साथ चंडीगढ़ नगर निगम की नई मेयर चुनी गईं। कुल 28 वोट डाले गए थे। pic.twitter.com/kN4VNptqE7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 8, 2022
बता दें कि हाल ही में खत्म हुए चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों में खंडित जनादेश आया क्योंकि किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। आम आदमी पार्टी ने 35 नगर निगम सीटों में से 14, भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने आठ सीटों पर जीत हासिल की, जबकि शिरोमणि अकाली दल को सिर्फ एक सीट मिली। आम आदमी पार्टी इस प्रदर्शन से बहुत खुश थी और विजयी जुलूस में खुद अरविंद केजरीवाल शामिल हुए थे। केवरीवाल का कहना था कि यह पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 का ट्रेलर है, लेकिन मेयर नहीं बनने से पार्टी को झटका लगा है।
दरअसल मेयर पद के लिए चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होगा यह पहले से ही तय माना जा रहा था। जिस तरह से कांग्रेस की वार्ड संख्या 10 से पार्षद बनीं हरप्रीत ने अपने पति और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देविंदर बबला के साथ बीजेपी का दाम थाम लिया था। जिसके बाद बीजेपी के वोट की संख्या भी आम आदमी पार्टी के बराबर हो गई थी। और इसके अलावा बीजेपी की सांसद किरण खैर भी वोट इस चुनाव में वोट किया है। बता दें कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने वोटिंग का बहिष्कार किया था।
लेकिन बीजेपी की चंडीगढ़ में यह जीत आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा झटका इसलिए है क्योकि आम आदमी पार्टी इसे अपनी जीत देख रही थी लेकिन अफसोस के उन्हे हार और निराशा हाथ लगी और यही वजह है कि इस तरह का हंगामा काटा जा रहा है।
हालाकि यह भी बता दें कि नगर निगम अधिनियम के तहत कोई दलबदल कानून लागू नहीं होता है और किसी भी दल का पार्षद किसी भी मेयर उम्मीदवार को वोट दे सकता है और इसमें कोई अवैधता नहीं है। रविवार को कांग्रेस से देवेंद्र सिंह बबला और उनकी पत्नी भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे मेयर का चुनाव और रोमांचक हो गया था।