दिल्ली दंगा में उमर खालिद को लगा बड़ा झटका, कोर्ट ने ख़ारिज की याचिका

Update: 2022-03-24 13:01 GMT

दिल्ली दंगा मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को बड़ा झटका लगा है. दिल्ली की एक अदालत ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इससे पहले फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के सिलसिले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कई बार टाला भी था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत को बुधवार को आदेश सुनाना था, मगर उन्होंने इसे आज यानी गुरुवार के लिए सूचीबद्ध किया था. बता दे उमर खालिद के खिलाफ इस घटना को लेकर बड़ी साजिश रचने का आरोप है और उस पर IPC के साथ-साथ UAPA के तहत भी मामला चल रहा है और अभी वो जेल में है।

दरअसल, अदालत ने तीन मार्च को खालिद और अभियोजन पक्ष की ओर से पेश वकील की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था. बहस के दौरान, आरोपी ने अदालत से कहा था कि अभियोजन पक्ष के पास उसके खिलाफ अपना मामला साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. उमर खालिद और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के "मास्टरमाइंड" होने के मामले में आतंकवाद विरोधी कानून -यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हो गए थे. संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी.

छह अन्य की जमानत याचिका का विरोध किया था

इससे पहले दिल्ली पुलिस खालिद और छह अन्य की जमानत याचिका का विरोध किया था. साथ ही आरोप लगाया था कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में 2020 के दंगों के दौरान हिंसा भड़काने और पुलिस अधिकारियों पर हमले करने की साजिश रची थी. अभियोजन पक्ष ने अदालत को यह भी बताया कि मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं ने भीम आर्मी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता कपिल मिश्रा पर दोष मढ़ने की कोशिश की.

2016 में पहली बार चर्चा में आया उमर खालिद

आपको बता दे जेएनयू से पीएचडी करने वाले उमर खालिद ने 2016 में पहली बार सुर्खियां बटोरीं। जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ कथित तौर पर एक कार्यक्रम हुआ। इसी के बाद खालिद समेत तब जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्‍हैया कुमार और 7 अन्‍य स्‍टूडेंट्स के खिलाफ राष्‍ट्र्रद्रोह का केस दर्ज किया गया। यह भी आरोप लगे कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारे लगाए गए। दिल्‍ली पुलिस ने जब कन्‍हैया को अरेस्‍ट किया, उसके बाद खालिद लापता होगा। अगले कुछ दिन वह टीवी चैनल्‍स पर दिखे। 23 फरवरी को कैंपस में दिखने पर उन्‍हें अरेस्‍ट कर लिया गया था, मगर बाद में जमानत दे दी गई।

दिल्‍ली दंगों में क्‍यों आरोपी है खालिद?

पुलिस के अनुसार, उनके पास खालिद के खिलाफ पर्याप्‍त सबूत हैं। उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में सब-इंस्‍पेक्‍टर अरविंद कुमार ने एक इन्‍फॉर्मर के हवाले से कहा कि उमर खालिद ने किसी दानिश नाम के शख्‍स और दो अन्‍य लोगों के साथ मिलकर दिल्‍ली दंगों की साजिश रची थी। एफआईआर के अनुसार, खालिद ने कथित तौर पर दो अलग-अलग जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए। FIR कहती है कि खालिद ने अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान नागरिकों से बाहर निकलकर सड़कें ब्‍लॉक करने को कहा ताकि अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रॉपेगैंडा फैलाया जा सके।

उमर खालिद पर पूरी साजिश रचने का आरोप

दिल्‍ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आम आदमी पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ पिछले महीने चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें कहा गया कि दंगों से पहले 8 जनवरी को हुसैन ने उमर खालिद और 'यूनाइटेड अगेंस्‍ट हेट' के खालिद सैफी से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में उमर ने हुसैन से कहा कि 'ट्रंप की यात्रा के वक्‍त कुछ बड़ा/दंगों के लिए तैयार रहें।' चार्जशीट के अनुसार, उमर ने कहा कि वह और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के लोग ताहिर की वित्‍तीय मदद करेंगे। खालिद के वकील ने इन सभी आरोपों को पूरी तरह 'झूठ और मनगढ़ंत' करार दिया है।

नागरिकता (संशोधन) कानून के लेकर हुए थे दंगे

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी 2020 में नागरिकता (संशोधन) कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 54 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

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