ED निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा, हाई प्रोफाइल मामलों की कर रहे जाँच

Update: 2022-11-18 05:52 GMT

केंद्र सरकार ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया है. यह तीसरी बार है जब संजय कुमार मिश्रा को लगातार सेवा विस्तार दिया गया है. कार्मिक मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी किए गए आदेश के अनुसार 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी मिश्रा को 18 नवंबर, 2023 तक सेवा विस्तार दिया गया है. ईडी निदेशक के रूप में यह उनका पांचवां साल होगा. उनका कार्यकाल अगले हफ्ते खत्म हो रहा था.

बता दे, 62 वर्षीय एसके मिश्रा को 19 नवंबर, 2018 को दो साल की अवधि के लिए प्रवर्तन निदेशालय का निदेशक नियुक्त किया गया था. इसके बाद 13 नवंबर 2020 के आदेश में सरकार की ओर से नियुक्ति पत्र में संशोधन किया गया और उनके दो साल के कार्यकाल को तीन साल का कर दिया गया था.

अध्यादेश के बाद बढ़ाया था ED निदेशक का कार्यकाल

सरकार पिछले साल एक अध्यादेश लायी थी जिसमें अनुमति दी गई थी कि ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है. इस अध्यादेश के बाद केंद्र ने 17 नवंबर, 2021 को फिर से ईडी प्रमुख का कार्यकाल एक साल बढ़ाकर 18 नवंबर, 2022 तक कर दिया था.




 


गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल एक वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. प्रवर्तन निदेशालय केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत कार्य करता है. संजय कुमार मिश्रा आयकर कैडर के 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं.

सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती

ईडी निदेशक के रूप में एसके मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली याचिकाओं को इसी हफ्ते के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख का कार्यकाल सार्वजनिक हित में कई संवेदनशील मामलों में जांच की निरंतरता और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए दो साल से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया था.

सरकार ने दिया ये तर्क

सरकार ने ED निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति देने वाले संशोधन को चुनौती देने वाली कांग्रेस पदाधिकारियों की ओर से दायर कई जनहित याचिकाओं का जिक्र किया था. सरकार ने कहा था कि पीएमएलए के तहत कांग्रेस के कई सदस्यों के खिलाफ कई जांच चल रही हैं. इसलिए ये याचिकाएं स्पष्ट रूप से किसी सार्वजनिक हित के बजाय व्यक्तिगत हित से प्रेरित हैं. 

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