केजरीवाल ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, कहा - मुफ्त सुविधाएं नहीं बल्कि 'दोस्तों' को करोड़ों का फ्री फायदा देने से आएगा संकट

Update: 2022-08-03 13:06 GMT

चुनाव के वक्त जनता से मुफ्त सौगातों का वादा करके वोट वटोरने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल तिलमिलाएं हुए है। दरअसल मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है जहां मोदी सरकार ने कहा है कि कि चुनावों में राजनीतिक दलों की ओर से किए 'मुफ्त' के वादों से आर्थिक संकट पैदा होगा। जिसके बाद अरविंद केजरीवाल ने इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि जनता को मुफ्त सुविधाएं देने से नहीं बल्कि 'दोस्तों' को लाखों करोड़ों रुपए का फ्री फायदा देने से संकट आएगा।

अरविंद केजरीवाल की ओर से सिलसिलेवार तरीके से एक के बाद एक कई ट्वीट किए है जिसमें उन्होने कहा कि ''जनता को मुफ्त सुविधाएं देने से आर्थिक संकट नहीं आयेगा। 'दोस्तों' को लाखों करोड़ों रुपए का फ्री फायदा देने से आर्थिक संकट आएगा।'' उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में सवाल पूछा, ''चुनाव से पहले घोषणाओं पर रोक? क्यों? घोषणाओं से आर्थिक संकट कैसे आएगा? इनका निशाना कही और है। घोषणाओं पर रोक नहीं होनी चाहिए। सरकारी बजट के एक हिस्से से ज्यादा फ्री नहीं देने पर विचार हो सकता है। 'फ्री' में मंत्रियों को सुविधाएं और किसी कंपनी को मुफ्त/सस्ती सुविधा या लोन माफी भी शामिल हो।''

खुद को जनता के लिए 'रेवड़ीवाला' के रूप में प्रचारित करने में जुटे अरविंद केजरीवाल ने कहा, ''क्या हमारे बच्चों को अच्छी शिक्षा फ्री मिलनी चाहिए, हर भारतीय को अच्छा इलाज फ्री मिलना चाहिए या बैंक लूटने वालों के लोन माफ होने चाहिए- देश को इस पर विचार करना चाहिए।''

बता दें कि चुनाव में जनता से मुफ्त सौगातों का वादा करके वोट वटोरने की प्रथा पर केंद्र सरकार रोक चाहती है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि चुनावों में राजनीतिक दलों की ओर से किए 'मुफ्त' के वादों से आर्थिक संकट पैदा होगा। अधिवक्ता और बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने यह दलील दी।केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में दिए जाने वाले और लोकलुभावन वादों का अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और यही अक्सर आर्थिक आपदाओं का कारण बनता है। केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को चुनाव से पहले इस तरह की मुफ्त पेशकश करने वाले राजनीतिक दलों के मुद्दे की जांच करनी चाहिए।

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