मंदिर में भगवा रंग विवाद पर केरल HC का बड़ा फैसला, कहा - प्रशासन तय नहीं करेगा मंदिर में कौन से रंग का होगा इस्तेमाल

Update: 2023-02-16 09:06 GMT

केरल के मंदिर में भगवा रंग की सजावट पर छिड़े विवाद के बीच केरल हाईकोर्ट ने पिनाराई विजयन सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए साफ कहा है कि पुलिस या प्रशासन इस बात पर जोर नहीं दे सकता है कि उत्सव के दौरान मंदिरों को किस रंग से सजाया जाए।

केरल में एक मंदिर में पुलिस के आदेश के बाद विवाद छिड़ गया था जिसमें तिरुवनंतपुर के वेल्लयानी भद्रकाली मंदिर के अधिकारियों को भगवा रंग हटाने को कहा गया। मंदिर को भद्रकाली उत्सव के लिए सजाया गया था। पुलिस ने निर्देश दिया कि मंदिर की सजावच में भगवा रंग को हटाकर इसकी जगह अलग-अलग रंगो का इस्तेमाल किया जाए। 



केरल पुलिस के इस आदेश के बाद भगवा रंग को लेकर विवाद इतना ज्यादा बढ़ गया कि इस पूरे मामले में केरल हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। पुलिस के आदेश को लेकर केरल हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गई जिस पर जस्टिस अनिल के नरेंद्रन और पीजी अजित कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई की। एक याचिका मंदिर की सलाहकार समिति ने दायर की थी, जबकि दूसरी याचिका एक भक्त की तरफ से दायर की गई थी। 

कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि मंदिरों में दैनिक पूजा, सनारोहों और त्योहारों के आयोजन में राजनीति की कोई भूमिका नहीं है। जिला प्रशासन या पुलिस इस बात पर जोर नहीं दे सकती है कि केवल 'राजनीतिक रूप से तटस्थ' रंगों का उपयोग मंदिर पर सजावट के लिए किया जाना चाहिए। जिला प्रशासन या पुलिस मंदिर के रीति-रिवाजों और प्रथाओं के अनुसार कलियुट्टू उत्सव आयोजित करने में दखल नहीं दे सकती है। कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि यदि मंदिर परिसर में या मंदिर के आस-पास किसी भी अप्रिय घटना की आशंका है जो कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ सकती है तो टीडीबी पुलिस को सूचित कर सकती है और जिला मजिस्ट्रेट को उचित कदम उठाना चाहिए। अदालत ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कार्यक्रम के दौरान लगाए गए अस्थायी ढांचे सार्वजनिक सड़कों का अतिक्रमण न करें।

बता दें कि 70 दिनों तक चलने वाला भद्रकाली उत्सव की शुरुआत (14) फरवरी से शुरू हो गई है। वहीं पुलिस का कहना है कि पहले यहां पर कार्यक्रम के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति में समस्या आई थी, जिसके चलते मंदिर से भगवा सजावट को हटाने का आदेश दिया गया था। लेकिन वहीं मंदिर के अधिकारियों ने इसे सत्तारूढ़ सीपीआई (एम) द्वारा हिंदू अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों को नष्ट करने की कोशिश बताया है।

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