नवाब मलिक और अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, कोर्ट ने मलिक और देशमुख को MLC चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने से किया इनकार
नवाब मलिक और अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका, कोर्ट ने मलिक और देशमुख को MLC चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने से किया इनकार
नवाब मलिक और अनिल देशमुख को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने नवाब मलिक और अनिल देशमुख को महाराष्ट्र MLC चुनाव में वोट डालने की इजाजत देने से किया इनकार कर दिया है। बता दे की सुप्रीम कोर्ट से पहले हाई कोर्ट ने दोनों की मांग को खारिज किया था। जिसके बाद आज सुप्रीम कोर्ट से भी उनके हाथ निराशा लगी है। नवाब मलिक को 1993 बम ब्लास्ट के आरोपियों से प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में ED द्वारा गिरफ्तार किया गया था वही महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को 100 करोड़ से जुड़े मनी लांडरिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशमुख और मलिक की एमएलसी चुनाव में मतदान करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
#SupremeCourt denies permission to former Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh and Minister Nawab Malik to be temporarily released to vote in the Maharashtra Legislative Council elections today (Bar and Bench) #nawabmalik #AnilDeshmukh pic.twitter.com/4PgtgqzOZv
— Janta Ka Reporter (@JantaKaReporter) June 20, 2022
क्युकी महाराष्ट्र में एमएलसी चुनाव के लिए मतदान 20 जून को यानी आज होना था और उन्हें उम्मीद थी की आज कोर्ट से उन्हें राहत मिल जाएगी। बता दे की एमएलसी चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव के दौरान भी दोनों नेताओं को अदालतों से राहत नहीं मिली थी। उनकी मतदान के लिए रिहा करने की मांग को पहले मुंबई की एक स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने खारिज किया था। बता दे की सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर बेल की इजाज़त को ख़ारिज कर दिया की हम इस सवाल को खुला छोड़ देंगे और अनूप चंद्रा के मामले में जहां वैधता बरकरार रखी गई थी, हम अंतरिम आदेश पारित करने के इच्छुक नहीं हैं।अब तर्कों के आधार पर अब हमें 1 बात के लिए माना जाता है कि विचारों का टकराव है इसलिए यह मामला है जहां प्रश्न उठ सकते हैं।
SC refuses to permit former MVA ministers #AnilDeshmukh and #NawabMalik, both in judicial custody for different alleged crimes, to go out of jail and vote in the Maharashtra legislative council election, which is going on today.
— The Times Of India (@timesofindia) June 20, 2022
आरपी अधिनियम, 1951 की धारा 62 (5) की व्याख्या के संबंध में बड़े प्रश्न को देखते हुए हम हैं विचार है कि मामले को विस्तार से सुना जाना चाहिए। पार्टियों के लिए 4 सप्ताह के भीतर दलीलें पूरी करने के लिए खुला है। अंतरिम राहत के सवाल पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि धारा 62 (5) को इस अदालत ने अनुकुल चंद्र प्रधान के मामले में बरकरार रखा था और एस राधाकृष्णन बनाम यूओआई और बार के अधिकार पर धारा 62(5) के तहत वोट करें, हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं।
ORDER
— Live Law (@LiveLawIndia) June 20, 2022
On question of interim relief taking note of the fact that sec 62(5) was upheld by this court in Anukool Chandra Pradhan's case and S Radhakrishan v UOI & the bar on right to vote u/s 62(5), WE ARE NOT INCLINED TO GRANT INTERIM RELIEF SOUGHT.