पीएम ने किया खुलासा, कहा- पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लेंडिंग से सरकार ने 8 साल में बचाए 50 हजार करोड़ रुपये

Update: 2022-08-16 12:20 GMT

दुनिया भर के देश इस समय कच्चे तेल की महंगाई की आग में झुलस रहे हैं। श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान और नेपाल जैसे देश कच्चे तेल की कीमतों के चलते तबाही की कगार पर हैं। लेकिन इस मुश्किल वक्त के बीच भी भारत ने एक खास जुगाड़ से करोड़ों रुपये की बचत की है। साथ ही यह विदेशी मुद्रा बचाने में भी योगदान दे रहा है। यह जुगाड है पेट्रोल में एथेनॉल की ब्लेंडिंग।

बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश में की जा रही एथेनॉल ब्लेंडिंग से हुई बचत का खुलासा किया। एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश ने पिछले सात-आठ वर्षों में पेट्रोल के साथ इथेनॉल को सम्मिश्रण करके विदेशी मुद्रा में 50,000 करोड़ रुपये बचाए हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल प्लांट को राष्ट्र के लिए समर्पित करते हुए, मोदी ने कहा कि 50,000 करोड़ रुपये की समान राशि गन्ना किसानों के पास गई है।

बता दें कि भारत सरकार ने 10 फीसदी एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य समय से पहले ही प्राप्त कर लिया है। प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि, भारत ने समय सीमा से पांच महीने पहले पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है। पीएम मोदी ने कहा कि 900 करोड़ रुपये का इथेनॉल प्लांट खेतों में फसल अवशेष के जलने की समस्या का एक स्थायी समाधान प्रदान करेगा।

पीएम मोदी ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन आठ वर्षों में 40 करोड़ लीटर से 400 करोड़ लीटर से बढ़कर 400 करोड़ लीटर हो गया है। यह परियोजना लगभग 3 करोड़ लीटर इथेनॉल सालाना उत्पन्न करने के लिए 2 लाख टन चावल के भूसे का उपयोग करेगी। इसके परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी भी होगी। बता दे की, 2020-21 में 551 बिलियन अमरीकी डॉलर की लागत से भारत का पेट्रोलियम का शुद्ध आयात 185 MT था। अधिकांश पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग परिवहन में किया जाता है। इसलिए, एक सफल E20 कार्यक्रम देश को प्रति वर्ष 1 बिलियन अमरीकी डालर, यानी 30,000 करोड़ रुपये बचा सकता है।

बता दे, आपको बता दें दुनिया में बड़े पैमाने पर एथेनॉल का कंजप्शन होता है. लेकिन ब्राजील और भारत इसे पेट्रोल में मिलाते हैं. भारत सरकार का मकसद ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना, ईंधन के आयात के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता कम करना, विदेशी मुद्रा बचाना, पर्यावरणीय मुद्दों को हल करना और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना है. 

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