चुनाव सुधार संबधित बिल लोकसभा में पास होते ही बौखलाया विपक्ष, बंग्लादेशी वोट बैंक छिनने का सता रहा डर।

चुनाव सुधार संबधित बिल लोकसभा में पास होते ही बौखलाया विपक्ष, बंग्लादेशी वोट बैंक छिनने का सता रहा डर।

Update: 2021-12-20 11:24 GMT

चुनाव सुधार से संबधित बिल यानि निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक, को लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। इस बिल में वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। आपको बता दें कि केंद्र के चुनाव सुधार बिल लाने के प्लान पर पहले ही कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, और बसपा जैसे तमाम विपक्षी दलों ने विधेयक के पेश किए जाने पर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की।

आज निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक, 2021 लोकसभा में विधि एंव न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने पेश किया। विधेयक लोकसभा में पेश करते ही तमाम कांग्रेसी नेताओं ने इसपर विरोध जताया। वहीं बीजेपी एमपी निशिकांत दूबे ने लोकसभा में कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस का वोटबैंक ही बंग्लादेशी है इसलिए वह निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि अगर आधार कार्ड वोटर कार्ड से लिंक कर दिया जाएगा तो कांग्रेस का वोट बैंक छिन जाएगा।

विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह पुत्तुस्वामी बनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ है। कांग्रेस नेता ने कहा, ''हमारे यहां डाटा सुरक्षा कानून नहीं है और अतीत में डाटा के दुपयोग किये जाने के मामले भी सामने आए हैं ।''

चौधरी ने कहा कि ऐसे में इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और इसे विचारार्थ संसद की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए । कांग्रेस के ही मनीष तीवारी ने कहा कि इस प्रकार का विधेयक लाना सरकारी की विधायी क्षमता से परे है। इसके अलावा आधार कानून में भी कहा गया है कि इस प्रकार से आधार को नहीं जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वह इसका विरोध करते हैं और इसे वापस लिया जाना चाहिए ।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि इस विधेयक में उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लंघन किया गया है और मौलिक अधिकारों के खिलाफ है. इसलिये हम इसे पेश किये जाने का विरोध करते हैं .

एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी ने कहा कि यह संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है . यह विधेयक गुप्त मतदान के प्रावधान के भी खिलाफ है. इसलिये हम इसे पेश किये जाने का विरोध करते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी. इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।

मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा। वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी.

निर्वाचन आयोग ने विधि मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून में सैन्य मतदाताओं से संबंधित प्रावधानों में 'पत्नी' शब्द को बदलकर 'स्पाउस' (जीवनसाथी) करने को कहा था. इसके तहत एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात कही गई है. वर्तमान में एक जनवरी या उससे पहले 18 वर्ष के होने वालों को ही मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति दी जाती है.

निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिए कई 'कट ऑफ तारीख' की वकालत करता रहा है. आयोग ने सरकार से कहा था कि एक जनवरी की 'कट ऑफ तिथि' के कारण मतदाता सूची की कवायद से अनेक युवा वंचित रह जाते हैं. केवल एक 'कट ऑफ तिथि' होने के कारण दो जनवरी या इसके बाद 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिए अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था.

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