असम में बहुविवाह पर लगेगा प्रतिबंध ? CM हेमंता ने एक्सपर्ट कमेटी का किया ऐलान

Update: 2023-05-12 10:34 GMT

बीजेपी शासित राज्य असम में हिमंता बिस्वा सरकार बहुविवाह यानि एक से ज्यादा शादी पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। CM हिमंता बिस्वा सरमा ने एक्सपर्ट कमेटी का ऐलान कर दिया है। सीएम हिमंता ने कहा है कि इस बहुविवाह प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य ने एक समिति तैयार की है, जो इस बात का पता लगाएगी कि बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार राज्य सरकार के पास है या नहीं। कमेटी सभी पहलुओं पर विचार विमर्श करेगी और ये तय करेगी कि किस तरह कानून को पूरी तरह वैध बनाया जाए यानी उसे खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सके। समिति को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 60 दिन का समय दिया गया है। 

असम सरकार के इस कदम को समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है, जिसे लागू करने के लिए असम सरकार ने पहले ही कानूनी कवायद शुरू कर रखी है। वहीं बहुविवाह प्रथा को खत्म करने के लिए इस समिति में चार लोगों को शामिल किया गया है। सीएम हिमंता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस समिति का अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस रूमी फूकन को बनाया गया है। वहीं अन्य तीन लोगों को समिति के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। जिसमें असम के एडवोकेट जनरल देबजीत सैकिया, राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता नलिन कोहली और अधिवक्ता नेकिबुर जमान को शामिल हैं।

हालाकि इससे पहले ही असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि असम सरकार राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। इसके लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा था कि असम में बाल विवाह पर चल रही कार्रवाई को और तेज किया जाएगा। सीएम हेमंता ने बताया था कि समिति संविधान के आर्टिकल 25 के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के प्रावधानों की जांच करेगी, जो कि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत हैं।

बता दें कि IPC की धारा 494 के तहत एक से अधिक शादियां यानी बहुविवाह करना अपराध है। अगर किसी का पहला पति या पत्नी जिंदा है, तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता। अगर पहले पति या पत्नी के रहते हुए, कोई दूसरी शादी करता है, तो उसे वैध नहीं माना जाता है। ऐसा करने पर उसे जेल की सजा भी हो सकती है।

हालांकि हमारे देश में आईपीसी की धारा 494 के तहत मुस्लिम पुरुषों को एक से ज्यादा शादी करने की छूट दी गई है। भारत में मुस्लिमों को एक से अधिक शादी करने का अधिकार है। उनके शरियत कानून में भी इस बात की अनुमति दी गई है कि एक पुरुष एक से ज्यादा शादियां कर सकता है।  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 ये इजाजत केवल मुस्लिम पुरुषों को ही देता है यानी मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करने के लिए पहले पति से तलाक लेना होगा। इस लिहाज से यह नियम मुस्लिम समुदाय में भी महिला से भेदभाव वाला माना जाता है। 

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