पत्रकार राणा अय्यूब की धोके से जुटाई 1.77 करोड़ की संपत्ति को ED ने किया जब्त। मदद के नाम पर इकट्ठा किए पैसे बहन और पिता पर लुटाए।

पत्रकार राणा अय्यूब की धोके से जुटाई 1.77Cr की संपत्ति को ED ने किया जब्त। मदद के नाम पर इकट्ठा किए पैसे बहन और पिता पर लुटाए।

Update: 2022-02-11 07:56 GMT

प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अय्युब पर लोगों की मदद के नाम पर धन राशि इकट्ठा करने और पैसे की गड़बड़ी करने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की है। बता दें कि राणा अय्यूब की 1.77 करोड़ की संपत्ति को ईडी ने कुर्क कर लिया है। ईडी का कहना है कि अय्यूब ने एक सोची समझी साजिश के तहत आम जनता को धोखा दिया है।

ईडी ने बताया कि राणा अय्यूब के घोटाले की शुरुआत तभी से शुरु हो गई थी जब वह पैसा इकट्ठा करने बाद उसे अपने और अपने परिवार के सेविंग अकाउंट से विदड्रॉ कर रही थी। अयूब के 50 लाख रुपए के फिक्स्ड अमाउंट नेट बैंकिंग से बुक किए गए और एक अलग करेंट अकाउंट खोला गया। बाद में उसके बचत बैंक खाते और उसकी बहन और पिता के बैंक खाते से फंड का ट्रांसफर किया गया। लेकिन Ketto.org के जरिए जिस उद्देश्य के लिए धन की उगाही की गई थी, उसके लिए इसका इस्तेमाल नहीं हुआ।

अब प्रवर्तन निदेशालय ने राणा अयूब द्वारा जुटाए गए फंड को अपने आदेश के जारी किए जाने की तारीख से लेकर 180 दिनों तक के लिए अस्थायी तौर पर अटैच कर लिया है। साथ ही पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में 7 सितंबर 2021 को आईपीसी की धारा 403, 406, 418, 420, आईटी अधिनियम की धारा 66 डी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें अयूब पर ये आरोप लगाया गया था है कि उसने चैरिटी के नाम पर गलत तरीके से आम जनता से धन की वसूली की थी। हिंदू आईटी सेल के विकास शाकृत्यायन ने अगस्त 2021 में ये एफआईआर दर्ज करवाया था।

राणा अय्यूब द्धारा चलाए गए तीन फर्जी अभियान कुछ इस तरह थे।

1- अप्रैल-मई 2020 के दौरान झुग्गीवासियों और किसानों के कल्याण के नाम पर धन की उगाही।

2- जून-सितंबर 2020 के दौरान असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य के नाम पर वसूली।

3- मई-जून 2021 के दौरान भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए सहायता के लिए।

जांच में कहा गया है कि राणा अयूब पेशे से पत्रकार हैं और सरकार से किसी भी प्रकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन के बिना ही वो विदेशी धन प्राप्त कर रही थीं। जबकि, ऐसा करने के लिए विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 के तहत सरकार की अनुमति या रजिस्ट्रेशन आवश्यक है। बता दें कि ईडी को 11 नवंबर 2021 को शिकायतकर्ता ने इस मामले की जानकारी के साथ एक ईमेल भेजा था। इसमें उसने केटो द्वारा डोनर्स को भेजे गए एक पत्र को भी अटैच किया था। केटो ने दान करने वाले लोगों को बताया कि तीन अभियानों के लिए ₹1.90 करोड़ और 1.09 लाख डॉलर (कुल 2.69 करोड़ रुपए) मिले थे, जिसमें से केवल ₹1.25 करोड़ खर्च किए गए हैं। केटो के पत्र में कहा गया है, "दानदाताओं को उपयोग किए गए धन के विवरण के लिए कैम्पेनर rana.ayub@gmail.com से संपर्क करना होगा।"

ईमेल मिलने के बाद जब प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जानकारी के लिए केटो से संपर्क किया। ईडी के एक्शन के बाद 15 नवंबर 2021 को केटो फाउंडेशन के वरुण सेठ ने ईडी को जानकारी दी और कहा- फंड रेजिंग कैम्पेन को 'www.ketto.org' वेबसाइट के जरिए शुरू किया था, जो कि ऑनलाइन माध्यम से शुरू किए गए थे, जो एक निजी कंपनी केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा है। वरण सेठ इसके निदेशकों में से एक हैं।

राणा अयूब ने 23 अगस्त 2021 को केटो को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उसने जानकारी दी थी कि उसे केटो से कुल ₹2.70 करोड़ रुपए की राशि मिली थी, जिसमें से उन्होंने लगभग ₹1.25 करोड़ खर्च किए और उन्हें कर के रूप में फंड से ₹90 लाख का भुगतान करना बाकी है। जबकि उसने 50 लाख रुपए को छोड़ दिया, जो लाभार्थियों तक पहुँचे ही नहीं।

साथ ही बता दूं कि राना अयूब और केटो के बीच हुए समझौते में इस कैम्पेन का उद्देश्य नासिक और लातूर के 2,000 गरीब किसानों और धारावी एवं नवी मुंबई के गरीब लोगों को तेल, चावल, चीनी, दाल, अस्पताल का बिल आदि देकर मदद करना बताया गया था। इसमें अस्पताल बनाने का उद्देश्य नहीं बताया गया था। इसको लेकर राना अयूब का कहना था कि उनकी याद में इस तरह का कोई समझौता नहीं हुआ था।

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