भबानीपुर उपचुनाव से पहले ममता बनर्जी बेनकाब, दिलीप घोष पर टीएमसी ने किया जानलेवा हमला

प्रचार के आखिरी दिन भी गंडागर्दी पर उतारू है टीएमसी पार्टी

Update: 2021-09-27 09:29 GMT

पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से ममता बनर्जी का असली चेहरा सामने आया है क्योकि अब जब भवानीपुर में उपचुनाव के लिए आज प्रचार का आखिरी दिन है तो ऐसे में राजनीति खीज निकाल रही टीएमसी पार्टी ने एक बार फिर से अपनी गुंडागर्दी दिखाने का काम किया है और इसी कड़ी में अब पूर्व बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष पर जानलेवा हमला करने की कोशिश की गई,

दरअसल दिलीप घोष जदुबाबू बाजार प्रचार करने पहुंचे थे जहां टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने दिलीप घोष को घेरकर गो बैक के नारे लगाए, इस दौरान दिलीप घोष के साथ धक्का मुक्की भी की गई जिसमें एक बीजेपी कार्यकर्ता के सिर पर चोट भी आई है

वहीं भवानीपुर में उपचुनाव से ठीक पहले हुए इस हमले की बीजेपी ने निंदा की है इसी कड़ी में दिलीप घोष ने इसे ममता की चाल बताया और कहा कि किसी भी हाल में चुनाव जीतना चाहती ही टीएमसी । तो वहीं बीजेपी नेता आमित मालवीय और मनोड तिवारी ने भी इसे हार के डर की बौखलाहट करार दिया है।

आज प्रचार का आखिरी दिन है TMC के कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी के लिए ताकत झोंक दी है तो वहीं BJP ने 80 नेताओं को मैदान में उतारा है, बीजेपी की ओर से पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी, राज्य बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष, और पार्टी के नेता देबाश्री चौधरी और बीजीपे नेता मनोज तिवारी सहित कई नेता चुनावी मैदान में उतरे हैं ।

ममता बनर्जी को 5 नवंबर तक जीतकर पहुंचना होगा विधानसभा

दरअसल भवानीपुर का चुनाव जीतना ममता बनर्जी के लिए बेहद अहम है क्योकि अगर इस चुनाव में ममता बनर्जी जीत हासिल करती हैं तो सीएम पद पर बनी रहेंगी और अगर हार जाती हैं तो पद छोड़ना भी पड़ सकता है, चुनाव में हार के बाद भी ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नियम के मुताबिक अगर कोई ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री बनता है जो किसी सदन का सदस्य न हो तो ऐसे में उसे छह महीने के अंदर जीतकर विधानसभा पहुंचना होता है नहीं तो मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ता है. सीएम पद पर बने रहने के लिए ममता बनर्जी को 5 नवंबर तक विधानसभा के किसी एक सीट पर जीत दर्ज करनी होगी. क्योंकि संविधान राज्य विधानमंडल या संसद के गैर-सदस्य को केवल छह महीने के लिए चुने बिना मंत्री पद पर बने रहने की अनुमति देता है ।

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